चेंबूर के ना. ग. आचार्य और दा. कृ. मराठे कॉलेज मे कैंपस में लगाए गए ड्रेस कोड और हिजाब बैन और ड्रेस कोड के फैसले में हाई कोर्ट ने दखल देने से इनकार कर दिया है। जस्टिस अतुल चंदुरकर और जस्टिस राजेश पाटिल की पीठ ने ड्रेस कोड के खिलाफ मुस्लिम समुदाय के नौ छात्रों की याचिका खारिज करते हुए कहा कि हम ड्रेस कोड को लेकर कॉलेज की नीति में हस्तक्षेप नहीं करना चाहते हैं। (Bombay High Court dismisses plea against college dress code banning headgear)
छात्रो ने की याचिका दायर
पिछले साल, ना. ग. आचार्य और दा. कृ. मराठे कॉलेज प्रबंधन ने ग्यारहवीं और बारहवीं कक्षा के छात्रों को एक ड्रेस कोड दिया था। विद्यार्थियों को महाविद्यालय द्वारा निर्धारित पोशाक पहनकर ही महाविद्यालय में प्रवेश दिया गया। पिछले साल की तरह इस साल भी कॉलेज प्रबंधन ने बुर्का, हिजाब पहनने पर प्रतिबंध लगा दिया है।
प्रवेश पत्र भरते समय इसके संबंध में निर्देश शामिल किए गए थे। इस पर आपत्ति जताते हुए बीएससी द्वितीय और तृतीय वर्ष की पढ़ाई कर रहे छात्रों ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और दावा किया कि हिजाब पर प्रतिबंध लगाने का फैसला निजता, गरिमा और धार्मिक स्वतंत्रता के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।
दोनो पक्षो ने रखा अपना पक्ष
याचिका पर न्यायमूर्ति अतुल चंदुरकर और न्यायमूर्ति राजेश पाटिल की पीठ के समक्ष सुनवाई हुई। याचिकाकर्ताओं की ओर से एडवोकेट. अल्ताफ खान ने कॉलेज के फैसले पर कड़ी आपत्ति जताई।
एडवोकेट. अल्ताफ खान ने कहा की" हिजाब पर प्रतिबंध लगाने वाला कॉलेज द्वारा लगाया गया नया ड्रेस कोड मनमाना है और धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करता है, यह ड्रेस कोड महाराष्ट्र पब्लिक यूनिवर्सिटी अधिनियम, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के दिशानिर्देशों, राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत समानता और समावेशिता के सिद्धांतों का उल्लंघन करता है"
वरिष्ठ अधिवक्ता एडवोकेट अनिल अंतूरकर ने कॉलेज का पक्ष रखते हुए कहा की "कॉलेज द्वारा लागू किया गया ड्रेस कोड सभी जाति-धर्म के छात्रों के लिए अनिवार्य है,उन्होंने दावा किया कि किसी भी समुदाय को निशाना बनाने का कोई इरादा नहीं है"
दोनों पक्षों की बहस के बाद पीठ ने सुरक्षित फैसला सुनाते हुए कॉलेज के निर्देश में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए याचिका खारिज कर दी।
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