जज पर की आपत्तिजनक टिप्पणी, पत्रकार को 3 महीने की सजा

जज के ऊपर आपत्तिजनक टिप्पणी कर कोर्ट की अवमानना करने के जुर्म में बॉम्बे हाई कोर्ट ने पत्रकार और आरटीआई एक्टिविस्ट केतन तिरोडकर को तीन महीने की सजा के साथ साथ 2 हजार रूपये बतौर जुर्माना भरने की सजा सुनाई है। केतन ने पिछले साल जुलाई महीने में कुछ जजों और महिला जजों के खिलाफ अपने फेसबुक पोस्ट में आपत्तिजनक टिप्पणी की थी।

'कोर्ट ने की तीखी टिप्पणी'

इस मामले में गुरूवार को न्यायमूर्ती अभय ओक, न्यायमूर्ती सत्यरंजन धर्माधिकारी और न्यायमूर्ती राजेंद्र सावंत की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि पीठ ने कहा कि आजकल लोग अभिव्यक्ति व बोलने की स्वतंत्रता की आड़ में कोर्ट की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाले आरोप लगा रहे हैं, जो कि अच्छी बात नहीं है। लोकत्रंत्र में आप आलोचना कर सकते हैं लेकिन आलोचना करते समय अपनी मर्यादा नहीं भूलनी चाहिए। कोर्ट ने आगे कहा कि संविधान ने मौलिक अधिकार के साथ-साथ नागरिकों के दायित्यों का भी उल्लेख किया है और उनका पालन भी जरूरी है।

केतन ने मांगी माफ़ी 

हालांकि केतन ने यह कह कर कोर्ट से माफ़ी मांगी कि वे अपने पारिवारिक समस्या के कारण काफी तनाव में थे, और उन्होंने जानबूझकर पोस्ट नहीं किया था और इस पोस्ट के लिए उन्हें पश्चाताप है, लेकिन कोर्ट ने केतन की कोई भी दलील नहीं सुनी। इसके बाद कोर्ट ने तिरोडकर की अपील पर अपने आदेश पर 6 सप्ताह तक के लिए रोक लगा दी ताकि वह सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सके।

क्या कहा था केतन ने?

केतन तिरोडकर ने पिछले साल जजों के खिलाफ अपने फेसबुक पेज आपत्तिजनक लेख लिखते हुए कहा था कि रेस्टोरेंट में एक मेन्यूकार्ड होता है, वैसे ही न्यायाधीशों का भी रेट लिस्ट होता है। जो जमानत के मामलों में लागू होता है। कई न्यायाधीशों से आसानी से साठगांठ की जा सकती है। इसके अलावा केतन ने महिला न्यायाधीशों पर भी आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। हाईकोर्ट ने खुद इस मामले  को संज्ञान में लेते हुए तिरोडकर के खिलाफ कोर्ट की अवमानना करने के लिए नोटिस जारी किया था। इसके बाद बांद्रा की साइबर पुलिस ने केतन को आईपीसी की धारा 509, 506 , 500,505 (2 ), 506 (2) के तहत गिरफ्तार किया था।

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