अब तक लगभग 7.5 लाख प्रवाशियों ने मुंबई पुलिस के पास ई-पास के लिए आवेदनदि या था।उनमें से चार लाख से अधिक मजदूरों को ट्रेनों से उनके गांव भेजा जा चुका है। जबकि डेढ़ लाख प्रवासी मजदूरों को बस से उनके गांवों में भेजा गया।
अगर पूरे राज्य की बात करें तो अभी भी तीन लाख मजदूर अपने गांवों में जाने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। एक अधिकारी ने कहा कि उन्हें गांव भेजने के लिए 100 से अधिक श्रमिक ट्रेनों की आवश्यकता होगी।
मुंबई में बड़ी संख्या में दूसरे राज्यों से आए हुए लोग रहते हैं। पुलिस को उन्हें उनके गृहनगर भेजने का काम सौंपा गया है। प्रवाशियों के पंजीकरण की प्रक्रिया 2 मई से शुरू हुई थी।
लेकिन मजदूरों के अपने गांव जाने की लालसा इस कदर थी कि लोग पैदल ही अपने गांव जाने लगे। जबकि सरकार इन्हें हर तरह का आश्वासन दे रही थी कि जो लोग जहां हैं वही रहें, उनके रहने खाने का सभी व्यवस्था किया जाएगा।
पुलिस पर बढ़ते दबाव को देखने के लिए प्रधान सचिव अमिताभ गुप्ता की अध्यक्षता में एक समिति बनाई गई है। संयुक्त पुलिस आयुक्त विनय चौबे और उप सचिव राहुल कुलकर्णी को भी इसमें शामिल किया गया है। इनकी मदद के लिए 1421 मंत्रालय के कर्मचारी भी उपलब्ध कराए गए हैं।
इसके अलावा अभिनेता सोनू सूद भी श्रमिकों की सहायता के लिए आगे आए हैं और उन्होंने कई श्रमिकों को उनके गांवों में भेजने की व्यवस्था की है।