आखिर समीर भुजबल को मिल ही गयी जमानत

आखिरकार महाराष्ट्र के पूर्व उपमुख्यमंत्री छगन भुजबल के भतीजे समीर भुजबल को मुंबई हाईकोर्ट ने जमानत दे ही दी। वे मार्च 2016 से ही जेल में बंद थे। भुजबल को ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग और महाराष्ट्र सदन घोटाले के आरोप में गिरफ्तार किया था। उसके बाद से समीर भुजबल की जमानत याचिका कई बार रद्द हो चुकी है।

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तीन बार रद्द हो चुकी है जमानत याचिका  

बुधवार को मुंबई हाईकोर्ट ने समीर की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए उनकी जमानत याचिका को मंजूरी दे दी। इसके पहले पूर्व एनसीपी सांसद समीर भुजबल ने मुंबई की विशेष पीएमएलए (PMLA) कोर्ट से भी समीर ने जमानत की गुहार लगाई थी लेकिन विशेष पीएमएलए कोर्ट ने समीर की याचिका को रद्द कर दिया था। यही नहीं समीर की जमानत को लेकर तीन बार सुनवाई हो चुकी है लेकिन हर बार किन्ही न किन्ही कारणों से कोर्ट ने जमानत रद्द कर दी। आपको बता दें कि PWD मंत्री रहे छगन भुजबल और उनके भतीजे समीर भुजबल के ऊपर ईडी ने भ्रष्टाचार से लेकर अन्य मामलों में कुल 51 केस दर्ज किये हैं।  इन्ही सब मामलों के चलते समीर को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था। 

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समीर को छोड़ सभी को मिल चुकी है जमानत 

समीर भुजबल के वकील विक्रम चौधरी ने जमानत याचिका की मांग पूरी करने के बाबत बताया कि सदन घोटाले में कुल 51 लोगों को आरोपी बनाया गया था जिनमें से समर भुजबल को छोड़कर सभी आरोपियों को जमानत मिल गयी थी। चौधरी के मुताबिक इस मामले में आरोपी को अधिकतम 7 साल की सजा मिलती है जबकि समीर ने और दो साल अधिक की सजा भुगत ली है। इसीलिए उन्हें जमानत मिलनी ही चाहिए। मार्च 2016 में गिरफ्तार होने के बाद भुजबल को 28 महीने बाद जमानत मिली है।

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तकनीकी कारण भी हुई सहायक 

तकनीकी कारणों के अनुसार मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत आरोपी को सात साल की सजा मिल सकती है। जिसमें से समीर ने एक तिहाई सजा यानि 28 महीने की सजा पूरी कर ली है। पीएमएलए कानून 45(1) के तहत इस धारा को रद्द कर दिया गया है इसीलिए कोर्ट ने समीर की जमानत याचिका मंजूर की।

गौरतलब रहे कि इसी मामले में मुंबई हाईकोर्ट ने छगन भुजबल को पहले से ही जमानत दी है।

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