योगेंद्र यादव और सुहास पलाशिकर ने NCERT की राजनीति विज्ञान की पुस्तक पर लेखक के तौर पर अपना नाम छापने पर आपत्ति जताई है। उन्होंने इस संबंध में NCERT को पत्र भेजा है। पाठ्यपुस्तकों पर नाम होना कभी हमारे लिए गर्व की बात थी। लेकिन अब वही बात शर्मनाक हो गई है, दोनों ने अपनी भावनाएं ऐसे शब्दों में व्यक्त की हैं। (We don't want our names on textbooks Yogendra Yadav, Suhas Palashikar's letter to NCERT)
NCERT ने इस साल कक्षा 11वीं और 12वीं की राजनीति विज्ञान की पुस्तकों में कुछ बदलाव किए हैं। इसकी जहां विपक्षी दलों के साथ-साथ शिक्षा जगत भी आलोचना कर रहा है, वहीं अब पुस्तक के लेखक के तौर पर नामित दो शिक्षाविदों ने NCERT को पत्र भेजकर अपना पक्ष रखा है। हमारे नाम का इस्तेमाल करने वाली राजनीतिक रूप से पक्षपाती, अकादमिक रूप से अप्रभावी पुस्तकें छात्रों तक नहीं पहुंचनी चाहिए।
पत्र में यह भी चेतावनी दी गई है कि अगर हमारे नाम वाली पाठ्यपुस्तकें वितरित की गईं तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी। यादव और पलाशिकर राजनीति विज्ञान की पाठ्यपुस्तक के मुख्य सलाहकार थे। पिछले साल पाठ्यपुस्तकों में बदलाव के बाद दोनों ने इसकी कड़ी आलोचना की थी। पहले किताब को संशोधित करते समय कुछ पाठ छोड़ देने की प्रथा थी। लेकिन अब इस पत्र में आरोप लगाया गया है कि एनसीईआरटी ने बड़ी मात्रा में जोड़-घटाव और पुनर्लेखन शुरू कर दिया है।
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