महाघोटाला! धोखादायक पेड़ों की कटाई और छंटाई के लिए तीन साल में 150 करोड़ हुए खर्च

मानसून के पहले हर साल बीएमसी पेड़ों की कटाई छंटाई करती है। इस काम के लिए बीएमसी प्राइवेट ठेकेदारों को ठेका देती है। क्या आप जानते हैं पिछले तीन साल में बीएमसी ने इस काम के लिए कितने रूपये का बिल पास किया, कुछ लाख, करोड़ नहीं बल्कि कुल 150 करोड़ रूपये, जी हाँ!, यानि हर महीने 4 करोड़ रूपये। यह जानकारी आरटीआई के द्वारा मिली है।

 

क्या यह एक बड़ा घोटाला है?

इस जानकारी को सामने लाने वाली आरटीआई कार्यकर्त्ता जोरू बाथेना हैं जो एनजीओ 'सेव ट्री' के सदस्य हैं और पर्यावरण प्रेमी भी हैं। बाथेना का कहना है कि पेड़ों की कटाई, छंटाई, देखभाल करने जैसे कामों के लिए बीएमसी ने एक प्राइवेट कंपनी को तीन साल पहले ठेका दिया था। करार के मुताबिक़ कंपनी को अप्रैल 2016 से मार्च 2019 तक पेड़ों की कटाई, छंटाई और देखभाल करनी है। मात्र तीन साल के लिए ही इस काम के लिए बीएमसी ने कंपनी को 150 करोड़ रूपये चुकाए हैं यानि हर महीने 4 करोड़ रूपये।

कोई भी रिकॉर्ड लिखित में उपलब्ध नहीं 

बाथेना का यह भी कहना है कि अब तक कितने खतरनाक पेड़ों की कटाई की गयी, कितनो की छंटाई की गयी और कितने पेड़ों के चरों ओर बाड़ा बना कर उनकी देखभाल की जा रही है, इसका कोई भी रिकॉर्ड लिखित में उपलब्ध नहीं है. यही नहीं इन तीन सालों में कितना पैसा, किन किन चीजों पर खर्च हुआ इसका भी कोई रिकॉर्ड नहीं है. बाथेना ने कहा कि यह एक बड़ा घोटाला है और वे इसे कोर्ट में लेकर जाएंगे।

 लकड़ी बेच कर भी कर रहे हैं कमाई 

'वनशक्ति' के संचालक स्टॅलिन दयानंद भी आरोप लगते हुए कहते हैं कि ठेकेदार पेड़ों की लकड़ी को काट कर भी अपनी तिजोरी भर रहा है। पेड़ों की देखभाल करने के बदले पेड़ों को काटा जा रहा है, जिन पेड़ों की टहनियां लटक जाती हैं टहनियों को काटने के बजाय पेड़ों को ही काट दिया जाता है और उनकी लकड़ियों को बेचा जाता है। इन सारे मामलों की जांच होनी चाहिए।

अगली खबर
अन्य न्यूज़