बीमार आराध्या को मिला 'दिल'दार

नवी मुंबई की रहने वाली चार साल की बच्ची आराध्या पिछले डेढ़ साल से जिंदगी के लिए मौत से लड़ रही थी। आराध्या का ह्रदय ठीक से काम नहीं कर रहा था। वह काफी दिनों से ह्रदय की तलाश थी। आखिरकार डॉक्टरों ने सफलतापूर्वक आराध्या को एक 14 महीने के ब्रेनडेड बच्चे का ह्रदय लगाया।  

आराध्या के पिता सुरेश मुले पिछले डेढ़ सालों से ह्रदय की तलाश में थे। उन्होंने इसके लिए सोशल मीडिया में एक मुहीम भी चला रखी थी। काफी दिनों के बाद आराध्या के लिए अच्छी खबर आई। सूरत में एक ब्रेनडेड हुए 14 महीने के बच्चे का ह्रदय आराध्या को देने का निर्णय किया गया।  इसके लिए डॉक्टरों ने आराध्या के पिता को 4 सितंबर को सूचना दी और सारी प्रक्रियाएं पूरी करने के बाद ह्रदय को मुंबई लाने की कवायद शुरू हुई।

5 सितंबर को 'ह्रदय' को सूरत से कमर्शियल प्लेन द्वारा जुहू तक तक लाया गया। जुहू से मुलुंड स्थित फोर्टिस अस्पताल तक एक ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया। ह्रदय को अस्पताल तक पहुंचने में 18 मिनट लगे। सुबह 9 बजे आराध्या का ऑपरेशन शुरू हुआ। आराध्या को अगले 48 घंटे तक डॉक्टरों की निगरानी में रखा गया है।

मुझे ख़ुशी है कि मेरी बच्ची की जान बन गई। अंगदान कितना महत्वपूर्ण है यह अब समझ में आया। अब मैं और मेरी पत्नी अंगदान के लिए लोगों को जागरूक करेंगे। लोग अधिक से अधिक अंगदान करें ताकि और आराध्या की जिंदगी बच सके।

योगेश मुले, आराध्या के पिता

आराध्या अप्रैल 2016 में अचानक आराध्या बीमार पड़ गई। जांच में पता चला कि आराध्या का ह्रदय मात्र 10 फीसदी ही काम कर रहा है। उसे बचाने के एक ही रास्ता था कि किसी दुसरे का ह्रदय आराध्या को लगाया जाए। इसके लिए किसी 30 किलो से कम के बच्चे के ही ह्रदय की आवश्यकता थी।

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