करना था इच्छामृत्यु , डॉक्टरों ने दिया जीवनदान !

अगर आपके शरीर को एक बार बीमारियों ने घर कर लिया तो उससे बाहर निकलना मुश्किल होता है। ऐसा ही कुछ हुआ भांडुप में रहनेवाली संपदा पारकर के साथ।  2010 से संपदा (37) किडनी रोग से पीड़ित थी , इसके साथ ही पिछलें दो सालों से उसकी स्वास्थ में कोई भी सुधार नहीं हो रहा था। कई बार इलाज करने के बाद भी उसके स्वास्थ में कोई खास फर्क नहीं पड़ा, जिसेक बाद उसने प्रशासन को इच्छामृत्यु की मांग करने लगी। परिवार ने थक हार कर मुलंड के यूएसएसएच अस्पताल में संपदा को भर्ती कराया।

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फरवरी 2017 में उसे यूएसएसएच हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया । गुर्दे की बीमारी के कारण संपत्ति का वजन भी बढ़ गया था। 2005 में, एक निजी अस्पताल के डॉक्टर ने उसे मधुमेह का इलाज कराया था, जिसके बाद पांच साल तक उसे किसी भी तरह का कोई भी दर्द नहीं हुआ। लेकिन साल 2010 के बाद उसे अचानक दर्द होने लगे।

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पिछलें 6 सालों से उसे हो रही तकलीफ के कारण उसके खाने की भी इच्छा नहीं हो रही थी, संपदा पारकर ने अलग अलग अस्पतालों में इलाज कराया , लेकिन उसका किसी पर कोई असर नहीं हुआ। जिसके बाद अंत में थक हार कर उसे यूएसएसएच हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया।

यूएसएसएच हॉस्पिटल की न्यूरोलॉजीस्ट डॉ. धनश्री चोणकर का कहना है की हॉस्पिटल में शुरुआती इलाज के बाद पता चला की संपदा की सही तरह से इलाज ना होने पाने के कारण उनमें किसी तरह का कोई भी सुधार नहीं हो पाया। उसके बाद तीन बार हेमोडायलिसिस सप्ताह में तीन बार कराया गया। फिजियोथरेपिस्ट की भी सहायता ली गई , जिसके बाद 15 दिनों मे चलने फिरने लगी।

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संपदा पारकर का कहना है की आर्थिक स्थिती खराब होने के बाद भी वह अलग अलग अस्पतालों में अपना इलाज कराती रही, डॉक्टरों के अलग अलग इलाज की वजह से उसका सही तरिके से इलाज नही हो पाया, लेकिन यूएसएसएच के डॉक्टरों के इलाज के कारण वहीं सही तरिके से खड़ी हो पा रही है।

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