सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को 40,000 करोड़ रुपये के आवास घोटाले में कुछ डेवलपर्स और महाराष्ट्र हाउसिंग एंड एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी (म्हाडा) के अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी।म्हाडा के अधिकारियों पर आरोप है कि उन्होंने रियल एस्टेट कंपनियों को पुरानी जीर्ण-शीर्ण इमारतों के पुनर्विकास के लिए अधिशेष क्षेत्र का उपयोग करने की अनुमति दी, जिससे कथित रूप से महाराष्ट्र सरकार को 40,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
म्हाडा को काफी नुकसान
बॉम्बे हाईकोर्ट में न्यायमूर्ति एस सी धर्माधिकारी और न्यायमूर्ति एस ए शिंदे पीठ के समक्ष सुनवाई हुई। म्हाडा मुंबई में निजी पुरानी और टूटी हुई इमारतों की रखरखाव करते है जिसके लिए इमारतों के रहिवासी म्हाडा को उपकर देते है। याचिका के अनुसार, विकास नियंत्रण नियमों के नियम 33 (7) के अनुसार, उपकर प्राप्त इमारतो के पुर्नविकास के बाद अतिरिक्त जमीन सरकार देना जरुरी है। कमलाकर ने आरोप लगाया है कि म्हाडा के अधिकारियों ने इमारतों के पुर्नविकास के बाद बाकी की जमीन पर कब्जा नहीं किया , जिससे म्हाडा को काफी नुकसान हुआ।
सामाजिक कार्यकर्ता कमलाकर शेनॉय ने दावा किया है कि राज्य सरकार को म्हाडा द्वारा अतिरिक्त 1.5 लाख वर्ग मीटर का कब्जा नहीं लेने के कारण 40 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
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