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नालों का कचरा समुद्र में न मिले, नालों में लगाए जाएंगे 'फ्लोटिंग ट्रैश बूम्स'


 नालों का कचरा समुद्र में न मिले, नालों में लगाए जाएंगे 'फ्लोटिंग ट्रैश बूम्स'
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मुंबई के नालों और गटर का कचरे युक्त प्रदूषित पानी सीधे समुद्र में जाकर मिलता है जिससे समुद्र का पानी प्रदूषित तो होता ही है, साथ ही बड़े पैमाने पर कचरा भी पानी में मिल जाता है। अब इसे रोकने के लिए बीएमसी नालों में उस स्थानों पर 'फ्लोटिंग ट्रैश बूम्स' (एक तरह की जाली) स्थापित करेगी जहां नाले समुद्र में मिलते हैं। 


क्यों लगाना चाहिए फ्लोटिंग ट्रैश बूम्स?

नालों के माध्यम से बह कर आया हुआ कचरा समुद्र में मिलता है। अधिकांश कचरे तो पानी में घुल जाता है लेकिन प्लस्टिक, कपड़ें  और कई सारी ऐसी वस्तुएं होती हैं जो पानी में नहीं घुलती है। ये कचरे पानी के साथ समुद्री किनारों पर जमा होते जाते हैं जिससे पर्यावरण भी प्रदूषित होता है।


कहां लगाए जाएंगे 'फ्लोटिंग ट्रैश बूम्स'

नाले समुद्र में मिलते हैं वहां बीएमसी फ्लोटिंग ट्रैश बूम्स स्थापित करेगी। मुंबई के दहिसर, पोइसर, ओशिवारा, मीठी नदी और वर्ली कुछ ऐसे स्थान हैं जिन्हे चिन्हित किये गए हैं और यहां फ्लोटिंग ट्रैश बूम्स स्थापित किये जाने का निर्णय लिया गया है। बीएमसी कमिश्नर अजोय मेहता ने आशा जताई है कि इस फ्लोटिंग ट्रैश बूम्स के जरिये जो कचरे नालों के माध्यम से समुद्र में मिलते हैं उसमे काफी कमी आएगी।

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क्या है फ्लोटिंग ट्रैश बूम्स

फ्लोटिंग ट्रैश बूम्स के जरिये ऐसा प्रावधान किया जाता है जिसमें प्लास्टिक के ड्रम द्वारा बांध बनाया जाता है और जो नाले के पानी के बहाव को प्रभावित करता है। यही नहीं इन प्लास्टिक के ड्रमों को मछली मारने वाले जालियों की सहायता से बांधा जाता है।


इस तरह से होता है पानी साफ

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यही नहीं इस ड्रम और जाली के लगने से ड्रम के चार फुट पहले से ही कचरा जमा होने लगता है जिसे आसानी से छान लिया जाता है और इस तरह से मात्र पानी ही बह कर समुद्र में जाता है।


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