मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति गिरीश कुलकर्णी की विशेष पीठ ने कहा कि बेकरियों में कोयले और लकड़ी के इस्तेमाल के कारण वायु प्रदूषण की स्थिति चिंताजनक हो गई है। विशेष पीठ ने बीएमसी और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को यह भी आदेश दिया कि वे शहर में लकड़ी और कोयले से चलने वाली बेकरियों को छह महीने के भीतर अपनी भट्टियों को गैस या अन्य जैव ईंधन में परिवर्तित करने के लिए कहें। (HC Directs State Govt, BMC, MPCB To Take Effective Steps Immediately To Curb Air Pollution)
पीठ ने सभी निर्माण स्थलों पर प्रदूषण सूचक उपकरण लगाना अनिवार्य कर दिया है। इसके अनुसार, यदि एक महिने के भीतर प्रदूषण सूचक संबंधी उपकरण नहीं लगाए जाते हैं तो विशेष पीठ ने आदेशों की पालना होने तक ऐसे निर्माणों पर रोक लगाने के लिए कार्रवाई करने के भी आदेश दिए।
उच्च न्यायालय ने स्वयं एक जनहित याचिका दायर कर मुंबई और उसके उपनगरों में बढ़ते वायु प्रदूषण के स्तर पर चिंता व्यक्त की थी। पिछले सप्ताह हुई सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश उपाध्याय और न्यायमूर्ति कुलकर्णी की विशेष पीठ ने विस्तृत आदेश जारी किया था। इसकी प्रति बुधवार को उपलब्ध हो गयी। इसमें विशेष पीठ ने राज्य सरकार के साथ बीएमसी को भी आदेश जारी किए।
विशेष पीठ ने इस विस्तृत आदेश में कहा है कि वाहनों से होने वाला प्रदूषण वायु गुणवत्ता के बिगड़ने का मुख्य कारण है। इसके अलावा, मुंबई महानगर क्षेत्र में सड़कों पर भारी ट्रैफिक जाम रहता है। सड़कों पर वाहनों का यह घनत्व चिंताजनक है। परिणामस्वरूप, वायु प्रदूषण से संबंधित समस्या बढ़ती जा रही है। अदालत ने यह भी टिप्पणी की कि इस उद्देश्य के लिए उठाए जा रहे कदम अपर्याप्त हैं।
अदालत ने आदेश दिया कि राज्य सरकार का संबंधित विभाग विशेषज्ञों की एक समिति गठित करे और यह समिति अध्ययन करके तीन महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करे।
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