बांद्रा ईस्ट रेलवे स्टेशन के बाहर डिस्पेंसरी खोलने के लिए शौचालय को तोड़ दिया गया है और मांग के बावजूद नया शौचालय नहीं बनाया गया है। इसलिए, सोमवार को हाईकोर्ट ने यात्रियों को हो रही भारी असुविधा का संज्ञान लिया। साथ ही, कोर्ट ने बृहन्मुंबई नगर निगम ,रेलवे प्रशासन और मुंबई महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण को बांद्रा ईस्ट रेलवे स्टेशन के बाहर शौचालय की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दिया। (Provide toilet facility outside Bandra East station HC to BMC, Railway Administration)
अधिवक्ता के.पी.पी. नायर ने जनहित याचिका के माध्यम से हाईकोर्ट में बांद्रा ईस्ट स्टेशन के बाहर शौचालय न होने से यात्रियों को हो रही असुविधा का मुद्दा उठाया। साथ ही, यात्रियों को असुविधा से बचाने के लिए शौचालय की सुविधा उपलब्ध कराने का आदेश देने की मांग की गई।
इसका संज्ञान लेते हुए और याचिका का निपटारा करते हुए मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति अमित बोरकर की पीठ ने उपरोक्त आदेश पारित किया।
पहले, बांद्रा ईस्ट रेलवे स्टेशन के बाहर एक शौचालय था। हालांकि, उस जगह पर एक अस्पताल बनाया जाना था। इसलिए शौचालय को तोड़ दिया गया। बीएमसी समेत संबंधित अधिकारियों से पत्राचार कर बयान दिया गया और स्टेशन के बाहर शौचालय बनाने की मांग की गई।
हालांकि याचिकाकर्ताओं की ओर से कोर्ट को बताया गया कि शौचालय बनाने के लिए प्रस्ताव या बयान भेजने के अलावा कोई कदम नहीं उठाया गया है। इस पर नगर परिषद ने कोर्ट को आश्वासन दिया कि याचिकाकर्ता के प्रस्ताव पर विचार किया जाएगा।
साथ ही कोर्ट ने यह भी बताया कि स्टेशन के बाहर की जमीन रेलवे और एमएमआरडीए की है। हालांकि कोर्ट ने रेलवे प्रशासन के साथ बीएमसी और एमएमआरडीए को आदेश दिया कि यात्रियों को असुविधा से बचाने के लिए स्टेशन के बाहर शौचालय की सुविधा उपलब्ध कराई जाए।
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि तीनों व्यवस्थाओं को परस्पर मिलकर यह सुविधा प्रदान करनी चाहिए। इसके अलावा अगर कोई संस्था इस काम में सहयोग करने वाली है तो संस्था की मदद से शौचालय की सुविधा उपलब्ध कराई जानी चाहिए, यह भी कोर्ट ने मुख्य रूप से उल्लेख किया।
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