मुंबई में लोकल ट्रेन की पटरियों पर अक्सर गंदगी का अंबार लगा होता है। रेलवे ने इन कचरों को हटाने की कई बार कोशिश की है लेकिन हर बार रेलवे अपने प्रयास में कुछ हद तक ही सफल हो पाई है। लिहाजा अब रेलवे ने एक अहम कदम उठाते हुए मक स्पेशल ट्रेन चला रही है। पुरानी लोकल को ही रेलवे मक स्पेशल ट्रेन बनाकर चला रही है। मक स्पेशल ट्रेन ट्रैक के आस-पास रहनेवाली कचरे को उठाने का काम करता है।
पुराने लोकल को ही बनाया मक स्पेशल
रेलवे का कहना है की पुरानी लोकल के नए उपयोग से रेलवे के समय में भी बचत होगी, क्योंकि दोनों ओर मोटर केबिन होने से मक स्पेशल ट्रेनों में इंजन जोड़ने की जरूरत नहीं। कबाड़ में पड़ी लोकल ट्रेन के चार डिब्बों से यह विशेष ट्रेन बनाई गई है। इस ट्रेन से सीटें, पंखे और लाइटें हटा दीं
पश्चिम रेलवे के मुंबई डिविजन से 2018-19 में लगभग 82 हजार क्यूबिक मीटर यानी 40 लाख बैग कचरा उठाया गया। लोकल ट्रेन में कई तरह के बदलाव कर मक स्पेशल ट्रेन बनाई गई है। स्वच्छ भारत, स्वच्छ रेल अभियान के तहत पश्चिम रेलवे नए प्रयोग कर रहा है।
मुंबई में लोकल ट्रेन की पटरियों पर अक्सर गंदगी का अंबार लगा होता है। रेलवे ने इन कचरों को हटाने की कई बार कोशिश की है लेकिन हर बार रेलवे अपने प्रयास में कुछ हद तक ही सफल हो पाई है। लिहाजा अब रेलवे ने एक अहम कदम उठाते हुए मक स्पेशल ट्रेन चला रही है। पुरानी लोकल को ही रेलवे मक स्पेशल ट्रेन बनाकर चला रही है। मक स्पेशल ट्रेन ट्रैक के आस-पास रहनेवाली कचरे को उठाने का काम करता है।
पुराने लोकल को ही बनाया मक स्पेशल
रेलवे का कहना है की पुरानी लोकल के नए उपयोग से रेलवे के समय में भी बचत होगी, क्योंकि दोनों ओर मोटर केबिन होने से मक स्पेशल ट्रेनों में इंजन जोड़ने की जरूरत नहीं। कबाड़ में पड़ी लोकल ट्रेन के चार डिब्बों से यह विशेष ट्रेन बनाई गई है। इस ट्रेन से सीटें, पंखे और लाइटें हटा दीं
पश्चिम रेलवे के मुंबई डिविजन से 2018-19 में लगभग 82 हजार क्यूबिक मीटर यानी 40 लाख बैग कचरा उठाया गया। लोकल ट्रेन में कई तरह के बदलाव कर मक स्पेशल ट्रेन बनाई गई है। स्वच्छ भारत, स्वच्छ रेल अभियान के तहत पश्चिम रेलवे नए प्रयोग कर रहा है।
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