एफडीए और पुलिस विभाग की लापरवाही से नशीली वस्तुओं की आवक बढ़ी


एफडीए और पुलिस विभाग की लापरवाही से नशीली वस्तुओं की आवक बढ़ी
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नशे के बाजार में नशीली वस्तुओं की आवक बढ़ गई है। मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच शाखा ने कोडिन फॉस्फेट से युक्त कोरेक्स कफ सिरफ की 18 बॉक्स और 999 बॉटल्स सहित नाइट्रावेट टॅबलेट्स जप्त किया है। बताया जाता है कि नशीली वस्तुओं की यह खेप उत्तर प्रदेश से मंगाई गई थी। पुलिस द्वारा पकडे गए सामान की कीमत 1.20 लाख रुपए बताई जाती है। इस मामले में पुलिस ने दो लोगों को गिरफ्तार किया है।

बता दें कि कोरेक्स एक खांसी की दवा है जिसमें कोडीन फॉस्फेट नामका एक नशीला तत्व मिला रहता है। कोरेक्स को बिना प्रिस्क्रिप्शन के खरीदना और बेचना दोनों जुर्म है।


बाजार में नशीली वस्तुओं की इतनी बड़ी खेप आना पुलिस की कमजोरी को दर्शाता है। उन्होंने आगे कहा कि इस तरफ एफडीए को भी ध्यान देने की जरूरत थी लेकिन उसने भी ध्यान नहीं दिया। इस मामले में तुरंत एफडीए को आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज करवाना चाहिए था लेकिन एफडीए कोई कदम नहीं उठा रही है - आरपीवाई राव, आरटीआई एक्टिविस्ट

इस मामले में एफडीए की सहआयुक्त (औषध) विनीता थॉमस ने मुंबई लाइव से बात करते हुए कहा था कि इस मामले को लेकर एफडीए के पास कोई जानकारी नहीं थी, हम अधिक जानकारी लेने का प्रयास कर रहे हैं।

इस बयान की निंदा करते हुए राव ने कहा कि एफडीए अपनी जवाबदारी से भाग रहा है वह ऐसी बात नहीं कर सकता।

जन स्वास्थ्य आंदोलन के कार्यकर्ता उमेश खके का कहना है कि एफडीए और पुलिस की आपसी सामंजस्य में कमी का ही परिणाम है कि बाजार में इस तरह की नशीली वस्तुए आ रही है।

वाईटनर और दर्द निवारक दवाइयों पर भी है प्रतिबंध

आपको भले ही विश्वास न हो लेकिन यह सत्य है कि नशेबाजों में वाईटनर और दर्दनिवारक मलहम काफी लोकप्रिय है। इसका उपभोग लोग नशे के लिए करते हैं। मलहम को लोग ब्रेड अथवा रोटी के साथ खाते हैं। हर दूकान पर बिकने वाली वाईटनर और मलहम पर जन स्वास्थ्य आंदोलन संगठन ने सरकार से प्रतिबंध लगाने की मांग की है।

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