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मीठी नदी का होगा 'काया कल्प', BMC ने पास किया 4 प्रपोजल

इन प्रस्तावों के अनुसार, यह सुनिश्चित करने के लिए कि, नदी में सीवेज का पानी नदी में नहीं जाने दिया जाएगा, नदी के साथ गटर लाइनें बिछाई जाएंगी। नदी को और गहरा और चौड़ा करके इस प्रवाह को और भी नियंत्रित किया जाएगा।

मीठी नदी का होगा 'काया कल्प', BMC ने पास किया 4 प्रपोजल
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बीएमसी 'मीठी नदी कायाकल्प ’योजना के तहत जल्द ही मीठी नदी (mithi river) के साफ सफाई का काम शुरू करेगी। इस परियोजना की लागत 569.52 करोड़ रुपये तय की गई है। इस योजना के तहत, नदी के गहरीकरण और चौड़ीकरण का कार्य भी किया जाएगा।

बीएमसी (BMC) की स्थायी समिति ने 25 नवंबर को इस परियोजना से संबंधित चार प्रस्तावों को मंजूरी दी। इन प्रस्तावों के अनुसार, यह सुनिश्चित करने के लिए कि, नदी में सीवेज का पानी नदी में नहीं जाने दिया जाएगा, नदी के साथ गटर लाइनें बिछाई जाएंगी। नदी को और गहरा और चौड़ा करके इस प्रवाह को और भी नियंत्रित किया जाएगा। साथ ही प्राधिकरण की तरफ से एक कंक्रीट की सुरक्षा दीवार और सर्विस रोड भी बनाया जाएगा।

अधिकारियों ने कहा कि, इस परियोजना के तहत कुर्ला में एयरपोर्ट टैक्सीवे पुल, अंधेरी में अशोक नगर, बांद्रा-कुर्ला (bkc) परिसर में एमटीएनएल जंक्शन और नदी के पवई (powai) खिंडी के पास फिल्टर पाडा के यहां परियोजना का काम होगा।

विशेषज्ञों ने पिछले कुछ वर्षों में मीठी नदी में पानी की गुणवत्ता में गिरावट की सूचना दी थी, क्योंकि नदी के किनारे बड़ी संख्या में झुग्गी झोपड़े और उद्योग धंदे स्थापित हो गए हैं। इन इलाको से सीधे नदी में गंदे अपशिष्ट और औद्योगिक अपशिष्ट पदार्थ नदी में आते हैं। साल 2019 में किए गए एक सर्वेक्षण में पाया गया कि नदी में फीकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया तय सीमा से 15 गुना अधिक है।

बता दें कि, ठेका प्राप्त करने वाली सभी चार कंपनियों ने नगरपालिका के मूल अनुमान से अधिक पैसे दे रहीं हैं।

अधिकारियों ने बताया कि नगरपालिका के जल विभाग द्वारा तैयार किए गए अनुमान से ये कंपनियां 17 प्रतिशत से 22 प्रतिशत अधिक का भुगतान कर रही है।

BMC ने परियोजना स्थल पर बढ़ी हुई लागत और कठिन स्थिति को इसका कारण बताया है। एक अधिकारी ने कहा, “नदी के किनारे झुग्गियाँ हैं जहाँ गहरीकरण का काम किया जाएगा। इनमें से निकलने वाली सॉल्ट को बस्तियों के आसपास नहीं रख सकते। ठेकेदार को इन सॉल्ट को डंपिंग स्थान पर लेे जाने के लिए प्रतिदिन गाड़ियों या फिर डंपर की सहायता से डंपिंग ग्राउंड तक पहुंचाना होगा।

महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (MPCB), मीठी नदी के पुनर्वास के लिए समय पर काम नहीं करने के लिए नगरपालिका पर प्रति माह 10 लाख रुपये का जुर्माना लगा रहा है।

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