महाराष्ट्र सरकार पिछले कुछ समय से COVID-19 के रैपिड टेस्टिंग किट का इंतजार कर रही है। बताया जा रहा है कि ये रैपिड टेस्टिंग किट पहले सप्ताह तक राज्य में पहुंच जाएंगे। हालाँकि, राज्य सरकार को अब इन रैपिड टेस्ट किट का उपयोग शुरू करने से पहले कम से कम 2 दिन और इंतजार करना पड़ सकता है।
राजस्थान देश के पहला राज्य था जिसने चीन से आयात किए गए इन रैपिड किट का उपयोग करना शुरू किया था। मंगलवार को राजस्थान सरकार ने घोषणा की कि वे इन रैपिड टेस्ट किट का उपयोग कर परीक्षण बंद कर रहे हैं, क्योंकि किट सही परिणाम नहीं दे रहे हैं।
राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा ने कहा कि 90 प्रतिशत की अनुमानित सटीकता का दावा करने वाले ये किट मात्र 5.4 फीसदी ही सटीक परिणाम दे रहे हैं। और इसलिए उनका कोई वास्तविक उपयोग नहीं है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) को इस मुद्दे के बारे में सूचित किया गया है।
इसके बाद ICMR ने अन्य राज्यों को रैपिड टेस्टिंग किट को मंगाने को लेकर होल्ड पर रहने को कहा है। ICMR के अनुसार पहले इन किटों को जांचा परखा जाएगा, और उनका टेस्ट कर यह परीक्षण किया जाएगा कि यह कितना सही है?
अगर ये किट तय मापदण्डों को पूरा नहीं कर पाते हैं, तो इसे आपूर्तिकर्ता को वापस भेज दिया जाएगा।
हालांकि अब तक, चीन ने इस बात से इनकार किया है कि भारत को भेजे गए किट निम्न गुणवत्ता के हैं।
राजस्थान के अलावा, दो और राज्यों ने भी कहा है कि रैपिड टेस्ट किट की गुणवत्ता काफी निम्न स्तर की है। महाराष्ट्र ने 75,000 रैपिड टेस्ट किट को मंगाने की योजना बनाई थी, लेकिन अब आईसीएमआर से निर्देश आने तक इंतजार करना होगा।
यह पहली बार नहीं है जब चीन ने किसी देश को निम्न गुणवत्ता वाले स्तर का किट भेजा है। 26 मार्च को, स्पेन ने भी बताया था कि चीन द्वारा भेजे गए किट निम्न गुणवत्ता के हैं। स्पेन की तरफ से बताया गया कि उन्होंने वायरस का मुकाबला करने के लिए सैकड़ों हजारों परीक्षण किए थे, लेकिन लगभग 60,000 मामलों में यह तय नहीं हो पाया कि कोई मरीज COVID -19 पॉजिटिव है या नहीं।
यही नहीं तुर्की ने भी चीनी कंपनियों से खरीदे गए इस टेस्ट किट के बारे में इसी तरह का आरोप लगाया है।