सुप्रीम कोर्ट ने 3:2 बहुमत से 103वें संवैधानिक संशोधन की वैधता को बरकरार रखा, जिसमें शिक्षा और सार्वजनिक रोजगार में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (EWS) के लिए 10% आरक्षण की शुरुआत की गई थी।
जस्टिस दिनेश माहेश्वरी, बेला त्रिवेदी और जेबी पारदीवाला ने 103 वें संविधान संशोधन को बरकरार रखा, जस्टिस एस रवींद्र भट ने एक असहमतिपूर्ण फैसला लिखा, जिसे भारत के मुख्य न्यायाधीश उदय उमेश ललित ने स्वीकार किया।शुरुआत में, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी ने कहा कि आरक्षण, जो भारत के संविधान द्वारा सक्षम अनुमेय सकारात्मक कार्यों में से एक था। समानता के सामान्य नियम का अपवाद था और इसलिए इसे संविधान की एक आवश्यक विशेषता के रूप में नहीं माना जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र सरकार के 10 फिसदी EWS आरक्षण को सही ठहराया है। इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा की SC/ST/OBC को EWS कोटा से बाहर रखना सही है ताकी दोहरे लाभ से बचा जा सके।
न्यायमूर्ति माहेश्वरी ने आगे कहा कि संशोधन ने "आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों" और अन्य कमजोर वर्गों के बीच एक उचित वर्गीकरण किया है।
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