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एक कदम बेस्ट के निजीकरण की ओर, 100 बसें किराए पर


एक कदम बेस्ट के निजीकरण की ओर, 100 बसें किराए पर
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मुंबई - बेस्ट के चालक और वाहनों पर बढ़ते खर्चे इंधन व बसों की देखभाल पर आने वाले खर्च को देखते हुए किराए पर प्राइवेट बसों की सेवा लेने का निर्णय बेस्ट उपक्रम ने लिया है। जिसके तहत पहले चरण में 100 बसें भाडे पर लेने की दिशा में कदम बढ़ा दिया गया है।

बेस्ट उपक्रम ने पांच वर्ष कालावधि में 100 एक मंजिली बिना वातानुकुलित बस भाडे पर लेने का निर्णय लिया है। 4 हजार 250 किलोमीटर प्रति महीना के लिए 50 बसें और प्रति महीना 5000 किलोमीटर प्रवास के लिए 50 बसों की निविदा मांगी गई थी। जिसमें प्रसन्ना पर्पल मोबिलिटी सोल्युशन्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को दोनों वर्गों की बसें उपलब्ध कराने के लिए पात्र ठहराया गया है। जिसने प्रति किलो मीटर के लिए 61.41 कुल रुपए की बोली लगाकर ठेका हासिल किया।

इस कंपनी की तरफ से बसों के साथ चालक और इंधन प्रदान किया जाएगा व उसकी देखभाल की जाएगी। महापालिका बजट में सौ नई बसें खरीदने के लिए 300 करोड रुपए का प्रावधान किया था लेकिन नई बसें नहीं खरीदने से निधि का इस्तेमाल सही तरीके से नहीं हो पाया।

सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार टीडीएलआर की रकम परिवहन विभाग को हस्तांतरित नहीं करने से उपक्रम को परिवहन विभाग आर्थिक दृष्टि से मजबूत नहीं किया जा सकता। मतलब बस को भाडे पर लेने के पर्याय से बसों के लिए बड़ी संख्या में पूंजी निवेश न कर उपक्रम में नई बसें शुरू करने के संभावना है। ऐसा बेस्ट उपक्रम के महाव्यवस्थापक जगदीश पाटील ने स्पष्ट किया है।

बेस्ट समिति के वरिष्ठ सदस्य और कांग्रेस के गटनेता रवि राजा ने इसे एक प्रकार से प्राइवेटीकरण बताते हुए बेस्ट की आर्थिक स्थिति के लिए सत्ताधारी बीजेपी-शिवसेना को जिम्मेदार ठहराया। बेस्ट को प्रत्येक किलोमीटर पर 51 रुपए का खर्च आता है, लेकिन प्राइवेट बसों पर प्रत्येक किलोमीटर के लिए 61 रुपए देने होंगे, जिससे प्राइवेट कंपनियों को लूटने की छूट देने का आरोप रवि राजा ने लगाया है।

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