मानसून शुरू होने से पहले रेलवे ट्रैक पर पानी न भरे इसके लिए रेलवे प्रशासन सभी प्रकार के कदम उठा रहा है। हर साल की तरह इस साल भी रेलवे ट्रैक की मरम्मत, नालों की सफाई, कचरा साफ करना जैसे काम रेलवे द्वारा किया जा रहा है। यह सारे काम सही ढंग से और समय पर ही इसके लिए रेलवे इन सारे कार्यों पर नजर रखने के लिए ड्रोन का सहारा लेगा। यह पहली बार है कि जब रेलवे अपने किसी कार्य में ड्रोन का सहारा लेगा।
हो रहा सर्वे का काम
मुंबई-पुणे रूट हो या फिर कसारा,कर्जत वाला रुट, ये पहाड़ी इलाके हैं। इन इलाकों में मानसून के दिनों में आए दिन चट्टानें खिसक कर या फिर टूट कर रेलवे की पटरियों में गिर जाती हैं, जिससे ट्रेनों का आवागमन प्रभावित होता है। इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए भी रेलवे ड्रोन का सहारा लेगा और समय रहते ही ड्रोन के माध्यम से सर्वेक्षण का काम कर चट्टानों को गिरने से रोका जाएगा, और गिरे चट्टान को समय रहते पटरियों पर से हटाया जायेगा।
IIT से ली गयी मदद
मध्य रेलवे इस साल नालों की गहराइयों को नापने के लिए आईआईटी की मदद ले रहा है। बीएमसी की सीमा के अंतर्गत जो नाले आते हैं और रेलवे के अंतर्गत जो नाले आते हैं उनकी ऊंचाई सामान नहीं होने के कारण आईआईटी की मदद ली गई है। लेकिन आईआईटी की रिपोर्ट को सामने आने में देरी हो रही है।
हम दक्षिण-पूर्व मतलब कर्जत वाले रुट पर चट्टानों को हटाने की तैयारी मतलब सर्वे का ड्रोन द्वारा कर लिया गया है। इस काम का 90 फीसदी काम पूरा हो चुका है। अब कसारा रुट पर काम जारी है। मानूसन के पहले साफ़ सफाई का कार्य दो चरणों में पूरा होगा जिसे बीएमसी और रेलवे मिल कर करेंगे। कुर्ला और सायन में इसके लिए 10 हजार हॉर्स पावर वाला इंजन लगाया गया है।
एस.के.जैन, विभागीय व्यवस्थापक, मध्य रेलवे
मुंबई पुलिस से ली गयी मंजूरी
आपको बता दें कि डॉन द्वारा चट्टानों का जब सर्वे किया जाता है तो ड्रोन से ऐसे चट्टानों का पता लगाया जाता है जिनमें दरार आ चुकी होती है। इसके बाद इन दरारों में सीमेंट भर दिया जाता है। ड्रोन के यूज के लिए मध्य रेलवे ने मुंबई पुलिस से खास मंजूरी ली है। इसके लिए रेलवे ने 3 से 5 हजार रूपये कितया भी चुकाया है।