फिल्मः पद्मावत
स्टार कास्टः दीपिका पादुकोण, शाहिद कपूर, रणवीर सिंह
स्टारः 4
संजय लीला भंसाली की बहुचर्चित फिल्म ‘पद्मावत’ कड़े विरोधों के बावजूद सिनेमाघरों में पहुंच चुकी है। इस फिल्म में संजय लीला भंसाली की मेहनत साफ नजर आ रही है। उन्होंने हरएक ऐंगल से फिल्म को सजाने का काम किया है और वे इसमें सफल भी रहे हैं। यह फिल्म रानी ‘पद्मावती’ की सुंदरता, वीरता, राजा रावल रतन सिंह के पराक्रम, प्रजा के प्रति प्रेम और अलाउद्दीन खिलजी के वहशीपन,धोखे, गद्दारी की कहानी है। फिल्म देखने के बाद यह समझ से परे है कि फिल्म का विरोध क्यों हो रहा है, फिल्म में विरोध करने जैसा कुछ भी नजर नहीं आया। यह फिल्म राजपूतों के पराक्रम की गाथा है।
कहानी
फिल्म की शुरुआत में राजा रावल रतन सिंह (शाहिद कपूर) को रानी पद्मावती (दीपिका पादुकोण) से प्यार हो जाता है, और वे उनसे विवाह करके अपने महलों में ले आते हैं। पर इनके जीवन में उस वक्त ग्रहण लग जाते हैं जब उनके राज्य का एक कुलगुरु अलाउद्दीन खिलजी (रणवीर कपूर) से हाथ मिलाकर उसके अंदर पद्मावती को पाने की चाह जगाता है। इस कुलगुरु का रानी पद्मावती के कहने पर देश निकाला किया गया था, क्योंकि इसने रतन सिंह और पद्मावती को प्रेम करते हुए देखने का दुस्साहस किया था।
अलाउद्दीन खिलजी एक वहशी दिल्ली का सुल्तान है, जिसने गद्दी हथियाने के लिए अपने चाचा जलाउद्दीन खिलजी का भी खून कर दिया था। पद्मावती की चाह रखने वाला अलाउद्दीन राजा रावल रतन सिंह को बंदी बनाकर दिल्ली ले आता है। यहां पद्मावती के साहस की दात देनी चाहिए वे अपने पती को वापस घर कैंसे लाती हैं? यह देखने लायक है। पर क्या अलाउद्दीन के दूसरे छल से राजा रतन सिंह बच पाते हैं? क्या अलाउद्दीन की चाह पूरी हो पाती है? इन सवालों के जवाब के लिए आपको फिल्म देखनी होगी।
एक्टिंग
फिल्म में तीन बड़े एक्टर हैं और तीनों किसी से कम नहीं सब अपने अपने किरदार में फिट बैठे हैं। रानी पद्मावती के किरदार को दीपिका पादुकोण ने जीवंत किया है। वहीं शाहिद कपूर राजा रावल रतन सिंह के किरदार में ऐसे घुसे कि उनकी आंखे भी उनकी मनोदशा व्यक्त कर दे रहीं थी। रणवीर सिंह का तो कोई जवाब ही नहीं है, उनका किरादक एक राक्षस, सनकी सुल्तान का था जिसे रणवीर ने अपने पागलपन से जिंदा किया।
डायरेक्शन
संजय लीला भंसाली अब तक काफी फिल्में बना चुके हैं, पर अब उनकी बेस्ट फिल्मों में ‘पद्मावत’ का पहला नाम होगा।इस फिल्म में उनकी मेहनत साफ झलकती है। हर एक ऐंगल से फिल्म को सजाने का काम हुआ है। फिल्म का बजट लगभग 200 करोड़ का था जोकि फिल्म में नजर आता है।
म्यूजिक
फिल्म के गाने फिल्म को आगे बढ़ाते हुए साथ में चलते हैं। ‘घूमर’ गाना तो पहले ही लोगों के दिलों में राज कर चुका है, वही राजा रतन सिंह जब युद्द के लिए तैयार होते हैं उस समय ‘एक दिल एक जान’ गाना बहुत सूफी लगता है।
फिल्म फर्स्ट हाफ में तेजी से भागती है, सेकंड हाफ में थोड़ा धीमी हो जाता है। जिसे फास्ट किया जा सकता है। युद्ध को थोड़ा ज्यादा ही खींच लिया गया है, उसे भी कम किया जा सकता था। अगर आपको ऐतिहासिक फिल्मों के साथ साथ अच्छी एक्टिंग और 3डी फिल्मों में दिलचस्पी है तो आपको यह फिल्म जरूर देखनी चाहिए।