स्कूली बच्चों की सुरक्षा के लिए राज्य सरकार ने समय-समय पर सरकारी फैसले लिए हैं। इसलिए बदलापुर में दो लड़कियों के साथ यौन उत्पीड़न की घटना के बाद निलंबित किए गए ठाणे के शिक्षा अधिकारी बालासाहेब रक्से शिक्षा अधिकारी के तौर पर इन सरकारी फैसलों को सख्ती से लागू करने में विफल रहे। (Badlapur Sexual Molestation Case Suspension of Thane Education Officer for shirking responsibility)
इसके अलावा, राज्य सरकार ने गुरुवार को एक हलफनामे के जरिए हाईकोर्ट में दावा किया कि उन्होंने घटना की देर से रिपोर्ट करने के लिए अन्य अधिकारियों पर उंगली उठाकर जिम्मेदारी से बचने की कोशिश की। इस मामले में रक्से को अपने खिलाफ प्रस्तावित विभागीय जांच का सामना करना होगा और अपने खिलाफ लगे आरोपों को गलत साबित करना होगा।
सरकार ने हलफनामे के जरिए यह भी दावा किया है कि इस जांच के दौरान उन्हें अपना बचाव करने का पूरा मौका दिया जाएगा। बदलापुर की घटना के बाद स्कूली शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर ने रक्से को निलंबित करने की घोषणा की थी। रक्से ने इसके खिलाफ पहले महाराष्ट्र प्रशासनिक न्यायाधिकरण (एमएटी) का दरवाजा खटखटाया था। वहां से तत्काल राहत नहीं मिलने पर उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
रक्षे की याचिका गुरुवार को न्यायमूर्ति अनिल चंदुरकर और न्यायमूर्ति राजेश पाटिल की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आई थी। उस समय राज्य सरकार ने हलफनामा दाखिल कर रक्षे के खिलाफ उपरोक्त दावा किया था। सरकार ने हलफनामे में यह भी कहा था कि रक्षे द्वारा एमएटी के समक्ष निलंबन को चुनौती देना गलत था। निलंबन आदेश के खिलाफ राज्यपाल के समक्ष अपील भी दायर किए जाने की उम्मीद थी। लेकिन उन्होंने अपील नहीं की।
रक्षे की याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई स्थगित करते हुए न्यायालय ने राज्य सरकार को मौखिक आदेश दिया कि अगली सुनवाई तक उनके स्थान पर किसी की नियुक्ति न की जाए।
यह भी पढ़े- मुंबई- आपूर्ति की कमी के बीच सब्जियों की कीमतों मे बढ़ोत्तरी