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BMC प्रदूषण पर रखेगी नजर, कई स्थानों पर लगाएगी मॉनिटरिंग मशीन

बीएमसी मुंबई में पांच स्थानों प्रभादेवी, खार, साकीनाका, कांदिवली, देवनार जैसे स्थानों पर वायु गुणवत्ता निगरानी मशीन स्थापित करेगा।

BMC प्रदूषण पर रखेगी नजर, कई स्थानों पर लगाएगी मॉनिटरिंग मशीन
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मुंबई (mumbai) में बदलते हुए मौसम (change climate) के साथ-साथ प्रदूषण (pollution) का स्तर भी बहुत कम अधिक देखने को मिलता है। मुंबई में प्रदूषण का स्तर मापने के लिए सरकारी विभाग महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (MPC) के साथ-साथ कुछ निजी संगठनों द्वारा भी यह काम किया जाता है अब बीएमसी (BMC) की तरफ से प्रदूषण पर नजर रखी जाएगी। इसके लिए बीएमसी कई स्थानों पर एक खास मशीन लगाएगी जो इलाके में एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग (air quality monitoring) करेगी।

बीएमसी मुंबई में पांच स्थानों प्रभादेवी, खार, साकीनाका, कांदिवली, देवनार जैसे स्थानों पर वायु गुणवत्ता निगरानी मशीन स्थापित करेगा। मुंबई में प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए 5 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। मुंबई नगर निगम के रिकॉर्ड का मूल्यांकन महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीसी) द्वारा किया जाएगा।

अभी हाल ही में एक रिपोर्ट सामने आई थी जिसमें बताया गया था कि मुंबई का बीकेसी इलाका सबसे अधिक प्रदूषण से ग्रस्त है इसका कारण वहां होने वाले निर्माण कार्य को बताया गया था

यही नहीं कुछ महीने पहले इकोनॉमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट (EIU) ने ग्लोबल लिवेबिलिटी इंडेक्स की शुरुआत की थी। इस इंडेक्स में दिल्ली 6 अंक गिरकर 118 वें स्थान पर पहुंच गयी थी जबकि मुंबई 2 अंक गिरकर 119 वें स्थान पर पहुंच गई थी। दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण, अपराध की बढ़ती संख्या के कारण तो मुंबई में दिनों दिन गिरता पर्यावरण का स्तर के कारण इन दोनों शहरों की रैंकिंग में कमी आई है. दिल्ली के बाद मुंबई में बढ़ता प्रदूषण चिंता अब का विषय बन गया है।

हवा में प्रदूषण का स्तर मुख्य रूप से कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, सल्फर ट्राइऑक्साइड, नाइट्रिक और नाइट्रोजन ऑक्साइड, मीथेन और तैरते सूक्ष्म ठोस पदार्थ हवा में प्रदूषण का कारण बनते हैं। इसके साथ ही घटते पेड़ों, चारों तरफ हो रहे निर्माण कार्य, छोटे-बड़े निजी वाहनों की बढ़ती संख्या और ईंधन के रूप में बेहताशा बढ़ता उपयोग से भी मुंबई में प्रदूषण स्तर बढ़ रहा है। 

विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार, कई शहरों में 80 प्रतिशत सांस की बीमारी का कारण प्रदुषित हवा है. देश में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए पिछले साल ही केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय स्वच्छ वायु नामसे एक कार्यक्रम शुरू किया था। इस कार्यक्रम का उद्देश्य प्रदूषण के उच्च स्तर वाले लगभग 100 शहरों में प्रदूषण को कम करना था इस कार्यक्रम का लक्ष्य 5 साल में  प्रदूषण के स्तर को 20 से 30 प्रतिशत तक कम करना है। इस कार्यक्रम के तहत बीएमसीने अलग से कोष भी बनाया है

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