व्यभिचार( adultery) के आधार पर पत्नी या पति कोई भी एक दूसरे से तलाक ले सकता है। लेकिन बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई पर फैसला सुनाते हुए कहा की अगर पति अपनी पत्नी को व्यभिचार( adultery) के कारण तलाक देता है तो पत्नी मासिक रखरखाव के भुगतान की हकदार नहीं होती है। बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा था कि एक महिला अपने पति से मासिक रखरखाव की मांग नहीं कर सकती है, अगर वह व्यभिचार की दोषी साबित होती है।
भत्ता बढ़ाने की अर्जी
न्यायमूर्ति नितिन साम्ब्रे की एकल-न्यायाधीश पीठ ने निचली अदालत के आदेशों को बरकरार रखते हुए यह फैसला सुनाया,
जिसमें पति ने महिला के भरण-पोषण से इनकार किया था,
क्योंकि उसके खिलाफ व्यभिचार के आरोप साबित हुए थे।न्यायालय ने पति को हर महीने पत्नी के लिए
150
रुपये और लड़के के लिए 25
रुपये को गुजारा भत्ता देने का निर्देश दिया। यह भत्ता कम था,
इसलिए पत्नी ने न्यायालय से गुजारा भत्ता बढ़ाने की मांग की,
जिसे
2010
में स्वीकार कर लिया गया और न्यायालय ने पत्नी के लिए 500
और पुत्र के लिए 400
रुपये देने का निर्देश दिया।
इस मामले में दोनों का विवाह 6
मई
1980
को हुआ था। विवाह के 20वर्ष के बाद सांगली पारिवारिक न्यायालय ने 27
अप्रैल
2000
को तलाक हो गया। इसमें पति ने पत्नी पर व्यभिचारी होने का आरोप लगाते हुए तलाक की अर्जी लगाई थी। सुनवाई के दौरान पति द्वारा लगाए गए आरोप को सिद्ध होने के बाद न्यायालय ने तलाक के अर्जी को मंजूर कर दिया।
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