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देवनार डंपिंग ग्राउंड में फिर लगी 'आग', सब पैसों का खेल है...


देवनार डंपिंग ग्राउंड में फिर लगी 'आग', सब पैसों का खेल है...
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देवनार डंपिंग ग्राउंड में एक बार फिर से आग लगी है। सोमवार शाम को लगी इस आग से निकलने वाले धुएं से आसपास के लोगों को काफी तकलीफों का सामना करना पड़ रहा है। अभी दो साल पहले भी देवनार में भीषण आग लगी थी जिसे बुझाने में हफ्ते लग गए थे। देवनार में लगती आग पर हमेशा से ही सवाल उठते रहे हैं। इस बार भी सवाल उठ रहा है कि क्या आग लगना किसी साजिश का हिस्सा है? आखिर बार-बार आग कैसे लग जाती है?



धुएं से बीमार होते लोग
मुंबई और उपनगर से यहां हजारों टन कचरा आता है, जिसमें बड़ी मात्रा में प्लास्टिक, रासायनिक चीजें होतीं हैं। जब आग लगती है तो उससे जो धुंआ निकलता है वो काफी जहरीला होता है। इससे डंगिंप ग्राउंड के आसपास रहने वालों को सांस लेने में दिक्कत होती है। यहां आपको कई ऐसे बुजुर्ग मिलेंगे जिन्हें सांस संबंधी बीमारियां हो गयीं हैं। यही नहीं कई बार तो आस-पास रहने वाले बच्चों को अस्पताल में भर्ती कराने तक की नौबत आ गई है।

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सभी इंजताम होने के बाद भी...
यह कोई पहली बार नहीं हैं जब देवनार डंपिंग ग्राउंड में आग लगी हो। इसके पहले भी कई बार देवनार में भयानक आग लग चुकी है। मार्च 2016 से देवनार के डंपिंग ग्राउंड में जब से आग लगनी शुरू हुई तब से  यह सिलसिला लगातार चलता आ रहा है। आग को रोकने के लिए बीएमसी द्वारा कई पुख्ता इंतजाम भी किये गए हैं। यहां भंगार का काम करने वालों के अतिरिक्त किसी के आवाजाही पर सख्त मनाही है। यहां सीसीटीवी कैमरे तक लगे हुए हैं और ग्राउंड के चारों और दीवारें भी बनायीं गयीं हैं बावजूद इसके आग कैसे लग रही है, यह किसी को समझ में नहीं आ रहा है? आग लगने की लगातार घटनाओं को देखते हुए यहाँ वाटर टैंकर और दमकल की गाड़ी हमेशा खड़ी रहती है।



सब पैसो का खेल है...
आप विश्वास  नहीं करेंगे लेकिन यहां कई सालों से अड्डा जमाए ऐसे कई माफिया हैं जो इस डंपिंग ग्राउंड से हर साल करोड़ो कमाते हैं। आपको बता दें कि देवनार डंपिंग ग्राउंड करीब 324 एकड़ में फैला है। 500 से अधिक गाड़ियां पूरे शहर से कचरा लाद लगभग 5 से 6 हजार मेट्रिक टन कचरा कर रोजाना यहां डंप करतीं हैं। इस कचरे में बड़ी मात्रा में ऐसे पदार्थ होते हैं जिन्हें रिसाइकल किया जाता है। हर रोज करीब 60 लाख रुपये का ऐसा कचरा निकलता है जिसे रिसाइकल किया जा सकता है। हर साल करीब 220 करोड़ रुपये का ऐसे कचरे का कारोबार है। इस रिसाइकल होने वाले कचरे पर कब्जा करने के लिए पिछले कई वर्षों से यहां के माफियोंओं में खूनी संघर्ष चल रहा है। सूत्रों के अनुसार इस इलाके में फैले यहां के माफिया ही इस कचरे के ढेर में आग लगाते हैं ताकि प्रशासन इस डंपिंग ग्राउंड को कहीं और शिफ्ट ना करें। इस काम में नेताओं और बड़े अधिकारीयों की भी मिलीभगत सामने आयी है।

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