10 प्रतिशत आर्थिक आरक्षण पर रोक लगाने से फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है। सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए 10 फीसदी आरक्षण के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका कारोबारी तहसीन पूनावाला की ओर से दाखिल की गई है। याचिका में कहा गया है कि इस फैसले से इंदिरा साहनी मामले में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के 50 फीसदी फीसदी की अधिकतम आरक्षण की सीमा का उल्लंघन होता है। हालांकी कोर्ट ने कहा की वह 124 वें संविधान संसोधन की समीक्षा करेंगे ।
सामान्य वर्ग के लिए आर्थिक आधार पर 10 फीसद आरक्षण को रद्द करने की जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने इस पर तत्काल रोक से इनकार करते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब मांगा है।चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की बेंच ने रोक लगाने से इनकार करते हुए कहा कि इस पर हम विचार करेंगे। कोर्ट संवैधानिक बदलावों को मिली चुनौती पर मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई और संजीव खन्ना की पीठ में सुनवाई हुई। इसी मामले को लेकर मद्रास हाईकोर्ट में पहले से याचिका दाखिल की गई थी।
देश के पूर्व प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव ने भी आर्थिक आधार पर आरक्षण देने को कोशिश की थी। उन्होंने अपने कार्यकाल में मंडल आयोग की रिपोर्ट के सवर्णों को 10 फ़ीसदी आरक्षण का ऐलान किया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने खारिज कर दिया था।