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याद आए भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु, इंकलाब जिंदाबाद से गूंजा परिसर


याद आए भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु, इंकलाब जिंदाबाद से गूंजा परिसर
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शिवडी - भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरू को 87वें शहीद दिवस पर सलामी दी गई। समोपचारी संगठन और कामगार संगठन ने एक साथ आकर 23 मार्च को परेल पूर्व स्थित कामगार मैदान से शिवडी पश्चिम तक शहीद भगत सिंह मैदान तक रैली निकाली। ऑल इंडिया यूथ फेडरेशन और ऑल इंडिया स्टुडेंट्स फेडरेशन की तरफ से इस रैली का आयोजन किया गया। इस मौके पर इंकलाब जिंदाबाद के नारे लगाए गए।

रैली शिवडी स्थित शहीद भगत सिंह मैदान में आने के बाद भगत सिंह की प्रतिमा को सलामी देते हुए विविध मनोरंजनात्मक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। साथ अनेक मान्यवरों ने देश प्रेम से लोथ प्रोथ भाषण दिए।

इस मौके पर भारतीय कम्युनिटी पक्ष महाराष्ट्र सचिव मंडल के सदस्य प्रकाश रेड्डी ने कहा कि देश को आगे ले जाने में युवाओं का बड़ा योगदान होगा इसलिए उन्हें भगत सिंह के जीवन और उनके साहसी काम से परिचित होना चाहिए। इस अवसर पर ऑल इंडिया यूथ फेडरेशन के अध्यक्ष प्रसाद घागरे, स्मृती सेवा संघ के सचिव धनंजय पवार उपस्थित थे।

23 मार्च 1931 की रात भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु की देश-भक्ति को अपराध की संज्ञा देकर अंग्रेजों ने फांसी पर लटका दिया था। वैसे तो मृत्युदंड के लिए 24 मार्च की सुबह तय की गई थी लेकिन किसी बड़े जनाक्रोश की आशंका से डरी हुई अंग्रेजे सरकार ने 23 मार्च की रात को ही इन क्रांति-वीरों की जीवनलीला समाप्त कर दी थी।

'लाहौर षड़यंत्र' के मुकदमे में भगत सिंह को फांसी की सजा सुनाई गई थी। उस समय भगत सिंह की उम्र केवल 24 वर्ष थी। भगत सिंह ने हंसते-हंसते, इंकलाब जिंदाबाद के नारे लगाते हुए फांसी के फंदे को चूम लिया था। भगत सिंह देश के समस्त शहीदों के सिरमौर माने जाते हैं।


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