भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे वीडियोकॉन ग्रुप के संचालक वेणुगोपाल धूत की मुश्किलें बढ़ गई हैं। मंगलवार को सीबीआई ने उनके खिलाफ भारतीय स्टेट बैंक के नेतृत्व वाले बैंकों के कंसोर्टियम को धोखा देने के आरोप में एफआईआर दर्ज की है। सीबीआई के सूत्रों ने बताया कि वेणुगोपाल धूत पर आरोप है कि उन्होंने ईस्ट अफ्रीकी देश मोजाम्बिक स्थित अपनी तेल और गैस कंपनियों की फाइनैंसिंग में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व वाले कंसोर्टियिम के कुछ अधिकारियों के साथ मिलकर हेराफेर किया। तेल मंत्रालय की शिकायत के बाद सीबीआई ने वेणुगोपाल धूत के खिलाफ कड़ा ऐक्शन लिया है।
मिली जानकारी के मुताबिक सीबीआई जांच में वीडियोकॉन मोजांबिक रोवोमा लिमिटेड के निदेशक और प्रमोटर को भी शामिल किया गया है। जांच में पता चला है कि वीडियोकॉन से जुड़ी फर्मों ने अनुचित लाभ के लिए बैंकों के सहायता संघ के साथ साठगांठ की। इसके बाद ओएनजीसी विदेश लिमिटेड और ऑयल इंडिया लिमिटेड ने जनवरी 2014 में वीडियोकॉन की मोजांबिक संपत्ति को 25 मिलियन अमेरिकी डॉलर में अधिग्रहण किया था।
विडियोकॉन को 2012 में आईसीआईसीआई बैंक से 3,250 करोड़ रुपए का लोन मिला था। यह लोन कुल 40 हजार करोड़ रुपए का एक हिस्सा था जिसे विडियोकॉन ग्रुप ने एसबीआई के नेतृत्व में 20 बैंकों से लिया था। आईसीआईसीआई बैंक ने दीपक कोचर को साल 2012 में 3250 करोड़ रुपए का लोन दिया था। लोन मिलने के छह महीने बाद धूत की कंपनी ने आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी चंदा कोचर के पति दीपक कोचर की कंपनी में कई करोड़ का निवेश किया। जिस कंपनी में निवेश किया गया उसके प्रमोटरों में चंदा कोचर के पिता और दो अन्य रिश्तेदार प्रमोटर थे।