नक्सलियों के साथ कथित तौर पर लिंक होने के आरोप में नजरबंद किये गए अरुण फरेरा और वर्नोन गोंजालविस की नजरबंद अवधि शुक्रवार को समाप्त होने के बाद पुणे पुलिस ने इन्हे गिरफ्तार कर लिया। वर्नन को उनके घर से तो फरेरा को ठाणे से गिरफ्तार किया गया।
आपको बता दें कि गौतम नवलखा, वरवरा राव, अरुण फरेरा, वर्नोन गोंजालविस और सुधा भारद्वाज को एक जनवरी को पुणे के भीमा-कोरेगांव में हुई हिंसा के बाद माओवादियों के साथ संबंध रखने के आरोप में 28 अगस्त को पुणे पुलिस ने गिरफ्तार किया गया था। पुलिस ने आरोप लगाया कि माओवादियों ने पुणे में एल्गार परिषद सम्मेलन में सहायता की थी जिसके बाद ही हिंसा फैली थी।
एक नवंबर को भी होगी सुनवाई
हालांकि अरुण फरेरा और वर्नोन गोंजालविस की गिरफ्तारी के बाद गौतम नवलखा, वरवरा राव, और सुधा भारद्वाज ने अपनी नजरबंदी बढ़ाने की मांग करते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट पहुंचे। इन तीनो की भी नजरबंदी शुक्रवार को खत्म हुई, लेकिन न्यायमूर्ति रणजीत मोरे और न्यायमूर्ति भारती डांगरे की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए कहा कि उनकी नजरबंदी नहीं बढ़ायी और कहा कि वह एक नवंबर इस पर सुनवाई करेगी।
हालांकि कोर्ट ने इसी मामले में सह आरोपी प्रोफेसर आनंद तेलतुंबडे को कोई अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया। उनकी गिरफ्तारी अब तक नहीं हुई है। तेलतुंबडे निचली अदालत से अपनी अग्रिम जमानत अर्जी खारिज होने के बाद शुक्रवार दोपहर उच्च न्यायालय पहुंचे। सरकारी वकील अरुणा पाई ने नवलखा और तेलतुंबडे की अर्जियों का विरोध किया। उन्होंने कहा कि पुलिस के पास इन दोनों और अन्य आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं। उच्च न्यायालय ने कहा कि वह एक नवंबर को उनकी अर्जी पर सुनवाई करेगा।