बुधवार को राज्य की सभी 288 सीटों पर एक ही चरण में मतदान होगा और शनिवार को मतगणना होगी। इससे पहले चुनाव आयोग प्रचार थमने के बाद विभिन्न दलों द्वारा किए जा रहे गुप्त प्रचार पर नजर रखेगा। कई लोगों ने देखा है कि आरोप-प्रत्यारोप से भरा प्रचार-प्रसार इस साल काफी कम हुआ है। चुनाव की जंग शुरू हुई और प्रचार-प्रसार भी तेज हुआ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विदर्भ में 'बताएंगे तो काटेंगे' के नारे से माहौल गरमा दिया। उसके बाद राज्य में प्रचार अभियान की शुरुआत करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'एक है तो सुरक्षित है' का नारा दिया। प्रचार की दिशा मोदी और योगी आदित्यनाथ की इन दो घोषणाओं के इर्द-गिर्द घूमने लगी। महाविकास अघाड़ी के नेताओं ने इन दो नारों को लेकर भाजपा पर हमला बोला।
विपक्ष ने आलोचना की कि भाजपा देश को बांटना चाहती है। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार, शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने अपनी प्रचार सभाओं में भाजपा के दो नारे 'बटेंगे' और 'सुरक्षित' का ध्यान रखा। दिलचस्प बात यह है कि महायुति के तत्व होने के बावजूद एनसीपी के अजित पवार भाजपा के नारे 'बटेंगे तो कटेंगे' से सहमत नहीं थे। भाजपा दो नारे 'बटेंगे और सुरक्षित है' के जरिए वोटों का ध्रुवीकरण करने की कोशिश कर रही थी। दूसरी ओर, महाविकास अघाड़ी ने इन घोषणाओं के आधार पर विपक्ष की राय को ध्रुवीकृत करने पर जोर दिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की धुले, नासिक, अकोला, नांदेड़, चिमूर, सोलापुर, पुणे, संभाजीनगर, रायगढ़, मुंबई में दस सभाएं हुईं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भाजपा का किला ढहाया। इसके अलावा योगी आदित्यनाथ, राजनाथ सिंह समेत भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने प्रचार में हिस्सा लिया। कांग्रेस में राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे आदि नेता प्रचार के लिए मैदान में उतरे थे। एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार, शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने अपनी-अपनी पार्टियों के लिए प्रचार करने के लिए हर दिन कम से कम चार सभाएं कीं।
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