महाराष्ट्र में कल यानी 6 मार्च को बजट पेश होना है इसके एक दिन पहले आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट पेश किया गया। इस रिपोर्ट के मुताबिक मंदी का असर भारत सहित महाराष्ट्र में भी है। रिपोर्ट बताती है कि राज्य का विकास दर तेजी से निचे गया तो बेरोजगारी, अपराध के साथ साथ महंगाई बढ़ी है। यही नहीं राज्य का कर्ज 5 लाख करोड़ रूपये के पार हो गया है। कृषि उत्पादन क्षेत्र में भी कोई ख़ास लाभ नहीं हुआ है।
गुरूवार को राज्य के उपमुख्यमंत्री और वित्त मंत्री अजीत पवार ने विधानसभा में आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट पेश की। रिपोर्ट के अनुसार राज्य का विकास दर 7.5 से घटकर 5. 7 प्रतिशत होने का अनुमान जताया गया है। बेरोजगारी की दर में भी वृद्धि होने का अनुमान जताया गया है।
राज्य में कुल 1 लाख 47 हजार लोग बेरोजगार हुए हैं। 8.3 प्रतिशत की दर से महाराष्ट्र बेरोजगारी में अव्वल नंबर पर है। 2018-19 में महाराष्ट्र में 73 लाख 50 हजार नौकरियां थी जो इस वर्ष घटकर 72 लाख 3 हजार रह गई है।
इतना ही नहीं कृषि विकास दर भी 3. 1 रह गया है। जबकि सेवा क्षेत्र में 7. 6फीसदी की वृद्धि हुई है।अपराध के मामले भी बढ़े है। महिलाओं पर अत्याचार के 37567 मामले दर्ज हुए हैं
फडणवीस सरकार के दौरान कृषि क्षेत्र में आर्थिक विकास दर 2.2 प्रतिशत थी। इस वर्ष के आर्थिक सर्वेक्षण में 3.1 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई।
राज्य में तमाम परियोजनाओं के चलते कर्ज का बोझ 471642 करोड़ रूपये हो गया है। जबकि इस वर्ष 20229 करोड़ रुपये का राजस्व नुकसान हुआ है और 61670 करोड़ रुपये की वित्तीय हानी हुई है। राज्य का सकल उत्पाद 2039075 करोड़ रुपये रहा तो प्रति व्यक्ति आय 191736 रुपये है जो पिछले वर्ष की तुलना में १६ हजार रुपये बढ़ी है।
राज्य में अब भी 3.9 प्रतिशत लोगों के पास घर नहीं. 10.5 प्रतिशत आबादी झोपडों में रहने को मजबूर है। यह देश की तुलना में 5.4 प्रतिशत है। भारत में स्लम आबादी की संख्या 18.1 प्रतिशत और कुल झोपडपट्टी परिवार का 17.8 प्रतिशत महाराष्ट्र में रहता है।
राज्य की प्रति व्यक्ति आय बढ़ी है वर्ष 2017 -18 में 175121 रुपये थी जो अब वर्ष 2018 -19 में कुल 191736 रुपये हो गई। इस मामले में हरियाणा , कर्णाटक , तेलंगाना , तमिलनाडु के बाद महाराष्ट्र का नंबर है।
राज्य पर कुल चार करोड 71 लाख 642 करोड का कर्ज और सालाना 35702 करोड़ रुपये का व्याज कुल ५ लाख 6 हजार करोड़ रुपये के कर्ज के बोझ तले दबे हैं।
चालू वित्तीय वर्ष में राज्य का राजस्व 3 लाख 14 हजार 640 करोड रुपये रही और 3 लाख 34 हजार 933 करोड़ रुपये खर्च हुए। इससे 20 हजार 293 करोड की राजस्व का नुकसान हुआ तो 61670 करोड़ का वित्तीय नुक्सान हुआ है।