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Bihar election 2020 : 'बिहार में रोजगार की बात वो कर रहे हैं जिनके राज में शाम छह बजे के बाद लोग घर से बाहर नहीं निकलते थे।'

NCP के बिहार प्रभारी के के शर्मा (kk sharma) से बात की मुंबई लाइव (mumbai live) ने।

Bihar election 2020 : 'बिहार में रोजगार की बात वो कर रहे हैं जिनके राज में शाम छह बजे के बाद लोग घर से बाहर नहीं निकलते थे।'
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बिहार इलेक्शन (bihar election) में इस बार देश भर के लोगों की नजरें टिकी है। लेकिन सबसे अधिक महाराष्ट्र (maharashtra) इस बात को लेकर उत्सुक होगा, क्योंकि इस बार बिहार में महारष्ट्र की प्रमुख दो पार्टियां NCP और शिवसेना (shivsena) भी मैदान में हैं। हालांकि दोनो पार्टियां राष्ट्रीय स्तर की हैं, और दोनों पार्टियां बिहार चुनाव के रास्ते उत्तर भारत में अपनी राजनीतिक जमींन बनाने की फिराक में हैं।

अगर NCP की बात करें तो, वह बिहार चुनाव में 110 सीटों पर उसने अपने उम्मीदवार उतारे हैं। अब जबकि दो चरण का चुनाव बीत चुका है और आज तीसरे चरण का चुनाव शुरू है, और कुछ ही दिनों में बिहार को उसका मुख्यमंत्री (bihar cm) मिल जाएगा, तो ऐसे में NCP के बिहार प्रभारी के के शर्मा (kk sharma) से बात की मुंबई लाइव (mumbai live) ने।

बीते दोनों चुनाव को लेकर आप क्या कहेंगे?

दोनों में हमारी तैयारी बहुत व्यापक रही, दोनों चरणों में हमने अच्छी लड़ाई लड़ी, हमारे प्रत्यशियों ने काफी अच्छा प्रदर्शन किया। हमारी पार्टी का मुख्य सिद्धांत महिला, किसान, नोजवान जैसे लोगों की भलाई और अगुवाई कराना है, इसलिए  इन्हीं मुद्दों को लेकर जनता के बीच गए, और उन्होंने हमको बड़ा व्यापक समर्थन दिया।

NCP के मुख्य मुद्दे कौन कौन से थे?

हमारा मुख्य मुद्दा बिहार की गरीबी, बदहाली तो थी ही, साथ ही बाढ़ बड़ा मुद्दा था। हर साल बिहार में बाढ़ आती है। कोसी नदी हो या महानंदा, पानी लोगों के घरों तक घुस आता है। जब जब तक प्रशासन उस पर ध्यान देती है तब तक दूसरी बाढ़ आने की संभावना बन जाती है। इसके साथ ही हमने बेरोजगारी (unemployment)  का मुद्दा भी लोगों के बीच उठाया। आज आम बिहारी बड़े पैमाने पर मुंबई, दिल्ली सहित दूसरे शहरों में जाते हैं।।इसलिए हम चाहते हैं कि, बिहार का औद्योगिककरण हो। लोगों को खुद यहां रोजगार मिले, बिहारियों को कहीं बाहर जाने की जरूरत न पड़े।

इस चुनाव में रोजगार के बड़े बड़े वादे किए जा रहे हैं, आप क्या कहेंगे?

देखिए, यहां झूठ बोलने का मुकाबला चल रहा है। ये वही लोग बोल रहे हैं, जिनके राज में शाम को छह बजे के बाद लोग घर से बाहर नहीं निकलते थे। शो रूम से गाड़ियां उठा ली जाती थीं। रोजगार के लिए लोगों को बाहर जाना पड़ता था। गरीबों के लिए कोई भावनाएं नहीं थीं। जो लोग रोजगार दिलाने के वादे कर रहे हैं, वो आपस में ही मुकाबला कर रहे हैं।

नीतीश के 15 साल के कार्यकाल को आप कैसे देखते हैं?

अगर मैं बेबाकी से कहूं तो, पहले के 10 साल नीतीश कुमार (nitish kumar) ने अच्छा काम किया, अपने कई वादे को पूरा किया, लेकिन उसके बाद 5 साल उन्होंने अपने किये हुए वादे को नहीं निभाया, जो वादा कह कर वो सत्ता में आए थे, उसे भी उन्होंने पूरा नही किया।

महागठबंधन से अलग होने के क्या प्रमुख कारण थे?

देखिए पांडवों ने मात्र 5 गांव मांगे थे, उसी तरह हमने भी मात्र 2 सीटों की, लेकिन उसे भी हमें नहीं दिया गया। एक राष्ट्रीय पार्टी होने के नाते हमारा कर्तव्य है कि, हम जनता और अपने कार्यकर्ताओं के प्रति ईमानदार रहें।

अगर संभावना बनती है तो NCP किसी के साथ जा सकती है?

यह तो बाद की बात है, लेकिन ऐसा कुछ होता है तो हम हर उस जनोपयोगी, लोकतांत्रिक और धर्म निरपेक्ष पार्टी के साथ रहेगी, जो जनता की सेवा करेगी उनका भला करेगी।

जो आने वाले चुनाव हैं, उसे कैसे देखते हैं?

देखिए, जनता हर चुनाव में समझदार होती जा रही है। उसे यह अच्छी तरह पता है कि, क्या करना है किसे वोट देना है और किसे नहीं। लोग व्यापक हो रहे हैं। यह सीमांचल और मिथिलांचल का चुनाव है, लोग न्याय जरूर करेंगे। 

महाराष्ट्र में शिवसेना के साथ होने के नाते सुशांत सिंह राजपूत सुसाइड केस का प्रभाव आपकी चुनावी तैयारियों पर पड़ेगा?

सुशांत सिंह राजपूत (sushant singh rajput) मामले का कोई असर हम पर नहीं पड़ेगा। उनकी मौत का दुख हमें भी है। मुंबई पुलिस (mumbai police) ने बड़े ही प्रोफेशनल तरीके से जांच की। और CBI ने भी तो वही किया। इसलिए प्रभाव पड़ने का सवाल ही नहीं है।

श्रमिक मजदूरों (migrant worker's) को लेकर क्या कहेंगे आप?

देखिए, महाराष्ट्र सरकार ने गरीब बेबस बिहारी मजदूरों को बसों से या ट्रेंन से उनके राज्य तक तो पहुंचाया। लेकिन बिहार की सरकार तो इस काबिल भी नहीं थी कि, बाहर से आये हुए लोगों को उनके घर तक भी नहीं पहुंचाया। केवल NCP ही ऐसी पार्टी है जो गरीबों और बेबसों का भला कर सकती है।

मुंबई (mumbai) में रहने वाले बिहारियों की भलाई के लिए ऐसे मुद्दे जो आप शरद पवार के सामने उठाने वाले हैं?

बात केवल बिहारियों की ही नहीं है बल्कि उत्तर भारत में रहने वाले हर लोगों की है। चाहे वो यूपी का हो, बिहार का हो या फिर हरियाणा, पंजाब का हो। अगर हमें लगता है कि, किसी बात से उत्तर भारतीयों का हित होगा, उनका भला होगा तो हम वो बात शरद पवार (sharad pawar) जी के सामने जरूर उठाएंगे।

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