Advertisement

राजभवन एक बार फिर चर्चा में


राजभवन एक बार फिर चर्चा में
SHARES

महाराष्ट्र के प्रथम नागरिक तथा राज्य के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी का सरकारी निवास स्थान राजभवन पिछले 2 वर्षों की कालावधि में जरा ज्यादा ही चर्चाओं में रहा है। राज्यपाल या राजभवन अक्सर चर्चाओं में आ रहा है, इसके पीछे का जो सबसे ताजा कारण है। वह यह है कि राज्य में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश की गई है। राज्य में 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद जिस तरह से राज्य में सरकारी बनाने के प्रति खींचतान हुई, उसके बाद को हर दिन यही बात सामने आया कि महामहिम राज्यपाल संघ तथा भाजपा के पक्षधर हैं।

शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे, राकांपा सुप्रिमों शरद पवार समेत कांग्रेस के कई नेताओं ने राज्यपाल पर यह आरोप लगाया था कि उन्होंने सरकार बनाने के प्रस्ताव पर भाजपा को छोड़कर अन्य दलों के नेताओं को अवसर नहीं दिया। मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह की ओर से गृहमंत्री अनिल देशमुख पर लगाए गए आरोपों के बाद यहां विधानसभा में विरोधी पक्ष तथा राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने गृहमंत्री से इस्तीफा मांग तो दूसरी ओर राज्य के पूर्व वन मंत्री तथा महाराष्ट्र भाजपा के वरिष्ठ नेता सुधीर मुनगंटीवार तथा वंचित बहुजन आघाडी के नेता प्रकाश आंबेडकर ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश राज्यपाल से की है। 


मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त द्वारा गृह मंत्री पर लगाए गए आरोप बड़े संगीन हैं, इसलिए गृहमंत्री अनिल देशमुख को तत्काल पद से हटाने की मांग भाजपा की ओर से किए जाने और उन पर शरद पवार की ओर से यह कहना कि गृहमंत्री अपने पद से इस्तीफा नहीं देंगे, इससे यह साफ होता है कि सरकार को सिर्फ सत्ता में रहना है, उसकी नज़र में नैतिकता, इमानदारी और लोकतंत्र के हितों की रक्षा जैसी बातें कोई मायने नहीं रखती।


मुंबई के पूर्व आयुक्त की ओर से गृह मंत्री पर लगाए गए आरोपों के बाद यह लग रहा था कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लग सकता है। राज्य में राष्ट्रपति शासन लागु करने की मांग को लेकर भाजपा के एक शिष्टमंडल ने गत दिनों राज्यपाल से मुलाकात की थी। राज्यपाल ने परमबीर सिंह की ओर से गृह मंत्री अनिल देशमुख पर लगाए गए आरोपों के बारे में रिपोर्ट मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से की मांगी है।


परमबीर सिंह ने इस पूरे मामले की जांच मुंबई उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश से कराने की मांग की है। सर्वोच्च न्यायालय के निरीक्षण में या फिर सीबीआई के माध्यम से इस प्रकरण की जांच किए जाने की मांग भी जोर पकड़ रही है। परमबीर सिंह ने मुख्यमंत्री के निवास स्थान वर्षा पर जाकर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, राकांपा सुप्रिमो शरद पवार, महाविकास आघाडी सरकार के मंत्रियों से इस पूरे मामले में विस्तार से चर्चा की। इस मामले में वंचित बहुजन आघाडी का कहना है राज्य में राजनीति तथा पुलिस प्रशासन का अपराधीकरण हो गया है, ऐसे में सरकार तथा पुलिस ने जनता के बीच विश्वास खो दिया है।


गृहमंत्री की ओर से हर माह 100 करोड़ रूपए जमा करने की बात कहना ही गलत परंपरा का सूत्रपात करना है। वंचित बहुजन आघाडी के नेता डॉ प्रकाश आंबेडकर ने यह सवाल उठाया है कि चूंकि राज्य सरकार में तीन राजनीतिक दल शामिल हैं, क्या उक्त धनराशि तीनों दलों शिवसेना, कांग्रेस तथा राकांपा के बीच बांटी जाने वाली थी। राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने के संदर्भ राज्यपाल से मुलाकात करने गए प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व विधानसभा में विरोधी पक्ष नेता देवेंद्र फडणवीस ने किया। इस प्रतिनिधिमंडल में भाजपा प्रदेशाध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल, राज्य के पूर्व वन मंत्री सुधीर मुनगंटीवार, राधाकृष्ण विखे पाटिल, विधान परिषद में विरोधी पक्ष नेता प्रवीण दरेकर, पूर्व मंत्री आशीष शेलार, मुंबई भाजपा अध्यक्ष प्रबात लोढ़ा आदि शामिल थे।

भाजपा के प्रतिनिधिमंडल ने कोरोना के प्रसार को रोकने में मिली असफलता, गृहमंत्री की ओर से 100 करोड़ का टार्गेट देने, जनहितों से जुड़े काम न करने, पुलिस विभाग में तबादले जैसे मुद्दों पर सरकार की मनमानी की ओर राज्यपाल का ध्यान दिलाया गया। प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल से अपील की कि वे गृहमंत्री के 100 करोड़ रूपए टार्गेट संबंधी बयान के बारे में पूरी सच की पड़ताल करे तथा सच क्या है। इस बारे में जनता तो अवगत कराया जाए। सरकार पर गंभीर आरोप होने के बावजूद कांग्रेस इस पूरे मामले में मौन क्यों है, यह सवाल भी भाजपा की ओर से उठाया गया है। भाजपा नेताओं से यह सवाल भी उठाया कि कांग्रेस कहीं उसके हिस्से में कितनी राशि आने वाली है, यह देखने के लिए तो नहीं रूकी है।

भाजपा के प्रतिनिधिमंडल की ओर से राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग के मुद्दे पर राकांपा नेता नवाब मलिक ने कहा कि भाजपा भले ही कितना भी दावा करें लेकिन राज्य की महाविकास आघाडी की सरकार पूरी तरह से स्थिर है। राज्यपाल को भाजपा प्रतिनिधिमंडल की ओर से दिए ज्ञापन में राज्य सरकार के 100 अपराधों का जिक्र भी किया गया है। 

उल्लेखनीय है कि राज्य में शिवसेना-राकांपा तथा कांग्रेस इन तीन दलों की सरकार के गठन से पहले राज्य में कुछ दिनों तक राष्ट्रपति शासन लगा था। अभिनेत्री कंगना राणावत तथा एक सैनिक अधिकारी के खिलाफ की गई कार्रवाई के बाद भी राजभवन में सरकार के खिलाफ स्वर बुलंद किया गया था, ऐसे में एक बार फिर राजभवन में जाकर भाजपा प्रतिनिधिमंडल की ओर से राज्यपाल को ज्ञापन सौंप कर उनसे राज्य में राष्ट्रपति शासन लागु करने की पैरवी करने से एक बार फिर राजभवन चर्चा में आ गया है। भाजपा नेता माधव भंडारी का कहना है कि गृह विभाग में जारी कृति का दर्शन कराने वाले सचिन वाझे के माध्यम से जो सच सामने आया है, उससे महाराष्ट्र तथा महाराष्ट्र पुलिस के दामन पर ऐसा काला दाग लगा है कि जिसे छुड़ा पाना संभव नहीं है। 


(लेखक वरिष्ठ पत्रकार है)

संबंधित विषय
मुंबई लाइव की लेटेस्ट न्यूज़ को जानने के लिए अभी सब्सक्राइब करें