किसान में मुद्दे पर राजनीति छोड़ जमीनी स्तर पर कुछ होता नहीं दिख रहा है, अगर किसानों के मुद्दे पर राजनीति न होती तो शायद प्रदेश में किसानो की इतनी दयनीय स्थिति नहीं होती। खैर, किसान की एक ऐसा मुद्दा बन गया है जिसे हर कोई नेता अधिक अधिक से भुनाना चाहता है। कम से कम शिवसेना में तो यही दिख रहा है। श्रेय लेने की जल्दबाजी में शिवसेना के दो नेताओं ने किसानो के मुद्दे पर अलग अलग प्रेस शो रखा। इस प्रेस शो का विषय था, किसानों की कर्जमाफी की रकम जल्द जल्द से मिले। और यह दोनों नेता थे पर्यावरण मंत्री रामदास कदम और परिवहन मंत्री दिवाकर रावते। चर्चा तो इस बात की भी थी कि इससे शिवसेना के मंत्रियों के आपसी मतभेद खुलकर सामने आ गए।
किसानो को जो कर्जमाफ हुआ है उसकी रकम जल्द ही किसानो को मिले इस मुद्दे पर शिवसेना की एक शिष्टमंडल दल सोमवार को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मिला और उन्हें ज्ञापन भी सौंपा। ज्ञापन सौपने के बाद रामदास कदम ने अपने ऑफिस में तो दिवाकर रावते ने अपने ऑफिस में पत्रकारों को इसी विषय पर संबोधित किया।
किसानो के मुद्दे पर बोलते हुए रामदास कदम ने बताया कि सत्ता में होते हुए भी हम विपक्षी की भूमिका निभा रहे हैं। कदम ने आगे कहा कि हमे जहां गलत लगेगा हम उसके खिलाफ बोलेंगे। उन्होंने आगे कहा कि पिछले 6 महीने से सरकार ने कर्ज माफ़ी की घोषणा की है, लेकिन इस पर क्रियान्वयन कुछ हुआ नहीं, किसान अभी भी आत्महत्या कर रहे हैं। कदम ने कहा कि मुख्यमंत्री दीवाली तक में किसानो के खाते में पैसे भजने की बात कर रहे हैं लेकिन हमारी मांग है कि यह पैसा दशहरा तक मिलना चाहिए।
जबकि दिवाकर रावते ने कहा कि खरीफ की फसल में किसानों को पैसा नहीं मिला तो रबी की फसल में जरुर से जरुर पैसा मिलना चाहिए। मुख्यमंत्री से हमने मांग की है कि दहशरा तक किसानो के खाते में पैसे भजे जाए।
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