पनवेल: साबुन की कंपनी से करोड़ो की ड्रग हुई बरामद, एक गिरफ्तार

DRI के अनुसार जब पांच महीने पहले नवी मुंबई के उस फर्जी साबून बनाने वाली कंपनी पर छापा मारा गया तो वहां गोदाम ने केटामाइन और मेटाएम्फेटामाईन जैसे ड्रग बनाये जाने के सबूत मिले। यह काम करने वाले लोग इस ड्रग की सप्लाई मलेशिया में भी करने की बात सामने आई।

पनवेल: साबुन की कंपनी से करोड़ो की ड्रग हुई बरामद, एक गिरफ्तार
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ड्रग तस्करों के खिलाफ मुंबई पुलिस द्वारा चलाई जा रही मुहीम को देखते हुए ड्रग तस्करों ने अब एक दूसरा रास्ता अपना लिया है। ड्रग तस्कर अब मुंबई से बाहरी इलाकों में केमिकल कंपनी के नाम पर खाली पड़े गोदामों में ड्रग बनाने का कार्य कर रहे हैं। इसी तरह से नवी मुंबई में स्थित एक गोदाम में ड्रग तस्करी बनाने के आरोप में डीआरआई यानी राजस्व खुफिया निदेशालय ने छापा मार कर एक ड्रग तस्कर को गिरफ्तार किया। इस ड्रग तस्कर का नाम असथ उर्फ़ तंबी(43) है।

बताया जाता है कि DRI को पांच महीने पहले सूचना मिली थी कि नवी मुंबई में एक साबून बनाने वाले कंपनी में ड्रग बनाया जाता है। इसके बाद वहां छापा मार कर DRI ने जगदीश नामके एक शख्स को गिरफ्तार किया। जगदीश एक उच्च शिक्षित युवक बताया जाता है जिसके जिम्मे ड्रग को मुंबई में सप्लाई करना था। पुलिस पूछताछ में दो और लोगों का नाम बताया, जो जगदीश के साथ फंडिंग और ड्रग कि सप्लाई का काम करते हैं, इनके नाम साजू कासिम और एन. प्रकाश है।

इसके बाद DRI ने तमिलनाडु से सात लोगों को गिरफ्तार किया। इस पूछताछ में पुलिस के सामने किसी मलेशिया में रहने वाले जैक नामक शख्स का खुलासा हुआ। साथ ही पुलिस को इस बात का भी पता चला कि तंबी और मलेशिया का यह शख्स जैक एक दुसरे के संपर्क में भी रहते हैं। DRI के एक अधिकारी ने बताया कि तंबी ड्रग्स को एयर कार्गो के माध्यम से मलेशिया भी भेजता था।

DRI के अनुसार जब पांच महीने पहले नवी मुंबई के उस फर्जी साबून बनाने वाली कंपनी पर छापा मारा गया तो वहां गोदाम ने केटामाइन और मेटाएम्फेटामाईन जैसे ड्रग बनाये जाने के सबूत मिले। यह काम करने वाले लोग इस ड्रग की सप्लाई मलेशिया में भी करने की बात सामने आई। इस काम में तंबी का नाम प्रमुख रूप से सामने आया। इसके बाद DRI के अधिकारियों ने तंबी को पनवेल से गिरफ्तार किया।

DRI के अधिकारी ने आगे बताया कि तैयार किये गये ड्रग को विदेश भेजने के लिए पहले ये लोग कुछ फर्जी कंपनी के बनाते थे। फिर उस फर्जी कंपनी के द्वारा इम्पोर्ट और एक्सपोर्ट नंबर यानी आईईसी ले लेते थे। इसी नंबर की सहायता से साबून के नाम पर बाहर ड्रग भेजा जाता था।

इस दौरान यह भी पता चला कि तंबी की मदद करने वाली मलेशिया में रहने वाली गैंग के सदस्य भारत के तमिलनाडु के रहने वाले हैं। ये लोग बड़े बड़े रोल में ड्रग को छुपा कर इसे विदेश भेजा करते थे।

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