यह खुलासा हुआ है कि केईएम अस्पताल में 2019 से 2024 तक 1,176 नवजात शिशुओं की मौत हुई। मुंबई और आसपास के इलाकों से बड़ी संख्या में गर्भवती महिलाएं प्रसव के लिए केईएम आती हैं। इसलिए यह आशंका व्यक्त की जा रही है कि इतने बड़े पैमाने पर नवजात शिशुओं की मौत एक गंभीर मामला है।
मामले की होगी जांच
उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि मुंबई महानगरपालिका के अधिकार क्षेत्र में आने वाले सभी अस्पतालों में नवजात शिशुओं की मौत की अस्पताल स्तर पर जांच कर आगे और मौतें रोकने के लिए उचित निवारक उपाय किए जा रहे हैं।मुंबई और आसपास के इलाकों से बड़ी संख्या में बीएमसी के केईएम अस्पताल में इलाज के लिए आते हैं। प्रसव के लिए आने वाली महिलाओं की संख्या भी अधिक है। हालाँकि, 2019 से 2024 तक छह साल की अवधि के दौरान केईएम अस्पताल के नवजात विभाग में 1,176 नवजात शिशुओं की मृत्यु हो गई।
चौकानेवाले आकड़े
2019 में 225 नवजात शिशुओं की मृत्यु हुई। कुल 1,176 नवजात शिशुओं की मृत्यु हुई, जिनमें 2020 में 206, 2021 में 179, 2022 में 188, 2023 में 179 और 2024 में 199 शामिल हैं।प्रसूति विशेषज्ञों ने बताया कि नवजात शिशुओं की मृत्यु के मुख्य कारणों में मां का कम वजन, प्रसवपूर्व संक्रमण, प्रसव के दौरान जटिलताएं और बच्चे को अपर्याप्त ऑक्सीजन की आपूर्ति शामिल है।
हालांकि, विधायक सुनील शिंदे ने विधान परिषद में यह मुद्दा उठाया था कि केईएम अस्पताल में छह साल में 1,176 बच्चों की मौत गंभीर मामला है।लिखित जवाब में उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि मुंबई महानगरपालिका के अधिकार क्षेत्र में आने वाले सभी अस्पतालों में नवजात शिशुओं की हो रही मौतों के संबंध में अस्पताल स्तर पर जांच की जा रही है।
इसके अलावा, नवजात शिशुओं की मृत्यु को रोकने के लिए उचित निवारक उपाय भी किए जा रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि गर्भवती महिलाओं के सम्पूर्ण स्वास्थ्य के लिए समय पर पंजीकरण, दवा एवं भोजन की व्यवस्था तथा परामर्श की व्यवस्था की जा रही है।
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