जिन जिलों में कोरोना वायरस का प्रकोप नहीं है, राज्य सरकार और केंद्र सरकार ने उन इलाकों में कुछ शर्तों के साथ व्यवसाय शुरू करने की अनुमति दे रही है। तदनुसार, 65,000 उद्योगों को अब तक शुरू करने की अनुमति दी गई है, जिनमें से 35,000 उद्योगों ने व्यावसायिक उत्पादन भी शुरू कर दिया है। राज्य के उद्योग मंत्री सुभाष देसाई ने बताया कि इन उद्योगों में लगभग 9 लाख श्रमिकों ने काम भी करना शुरू कर दिया है।
कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए देशव्यापी तालाबंदी ने देश के सभी उद्योगधंदे इस समय ठप्प पड़े हुए हैं। इससे देश की अर्थव्यवस्था को लगातार भारी नुकसान हो रहा है। केंद्र और राज्य की बिगड़ती अर्थव्यवस्था को ठीक करने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं। इसी क्रम में लॉकडाउन का दूसरा चरण जब समाप्त हो गया, तो
तीसरे चरण की शुरुआत हुई। लेकिन तीसरे चरण के लॉकडाउन में कुछ शर्तों के साथ ग्रीन ज़ोन इलाकों में व्यवसाय शुरू करने की अनुमति दी गई।
राज्यातील उद्योगचक्र पूर्वपदावर येणे सुरू. सद्यस्थिती ६५ हजार उद्योगांना परवानगी, त्यापैकी ३५ हजार उद्योगांचे उत्पादन सुरू. त्यात सुमारे नऊ लाख कामगार झाले रुजू- उद्योगमंत्री @Subhash_Desai यांची माहिती pic.twitter.com/VZqK58gOCj
— MAHARASHTRA DGIPR (@MahaDGIPR) May 13, 2020
इस संबंध में जानकारी देते हुए उद्योग मंत्री सुभाष देसाई ने कहा कि उद्योग विभाग ने विदेशी निवेशकों को महाराष्ट्र में आकर्षित करने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों की एक टास्क फोर्स बनाई है। यह टास्क फोर्स अमेरिका, जापान, ताइवान, जर्मनी, जापान, इंग्लैंड और अन्य देशों के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत कर रही है।
देसाई ने आगे कहा कि, MIDC ने विदेशी निवेशकों के लिए राज्य के विभिन्न हिस्सों में लगभग 40,000 हेक्टेयर भूमि आरक्षित की है। उद्योग शुरू करने के लिए आवश्यक विभिन्न लाइसेंसों की संख्या को कम करके, एक एकल लाइसेंस यानी वन विंडो सिस्टम शुरू किया जाएगा। इससे महाराष्ट्र में उद्योगों को एक अच्छी शुरुआत मिलेगी। उद्योग की शुरुआत के बाद कारखानों को अगले दो वर्षों में लाइसेंस दिया जाएगा।
उद्योग मंत्री ने बताया कि देश और विदेश की फार्मा कंपनियों के निकट भविष्य में राज्य में निवेश करने की संभावना है। इसलिए, औद्योगिक क्षेत्र में फार्मा क्षेत्र के लिए एक विशेष नीति तैयार की जाएगी। उद्योग में श्रमिकों की कमी नहीं होनी चाहिए, इसलिए उद्योग, श्रम और कौशल विकास विभाग की ओर से एक श्रम ब्यूरो की स्थापना की जाएगी।
उन्होंने कहा, केवल 7 दिनों में श्रमिकों को प्रशिक्षित करके उद्योग की आवश्यकता को पूरा किया जाएगा। यह उद्योग को बड़ी संख्या में कुशल, अकुशल श्रम प्रदान करेगा।