मुंबई - “...तो महाराष्ट्र विधानमंडल के बजट सेशन का कामकाज नहीं चलने देंगे ” अपने पार्टी के विधायकों को ये आदेश देनेवाले विरोधी पार्टी कांग्रेस या एनसीपी नहीं है, ये आदेश दिया है सत्ता में बीजेपी की सहभागी शिवसेना पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे ने। राज्य की बीजेपी सरकार जब तक राज्य के किसानों के कर्ज माफी के फैसले को जाहीर नही करती है तब विधानमंडल में आक्रामक रवैया बनाए रखने का आदेश शिवसेना पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे ने शिवसेना के विधानसभा और विधानपरिषद सदस्यों को दी है।
राज्य के पर्यावरण मंत्री रामदास कदम ने मुंबई लाइव को ये जानकारी दी। कर्ज के मुद्दोंं पर किसानों को राहत दी जाए, जिसकी मांग को लेकर शिवसेना के विधायक और मंत्रियों ने अधिवेशन के पहले दिन से ही अपने मंसूबों को स्पष्ट कर दिया। मंत्रिमंडल की बैठक के बाद अपेक्षा थी कि शिवसेना के विधायक अपना विरोध पीछे ले लेंगे, लेकिन एेसा नहीं हुआ। शिवसेना के मंत्री और विधायक अब और भी अधिक आक्रामक तेवर में दिखेंगे। चार दिन की छुट्टी के बाद शिवसेना मंत्री और विधायक पूरे जोश के साथ महाराष्ट्र के सूखाग्रस्त इलाकों के किसानों के मुद्दे पर लड़ते नजर आएंगे। किसानों के लिए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कर्ज माफी की बात कही है।
राज्य के वित्त मंत्री सुधीर मुनगंटीवार भी अपने बजट भाषण में इस मुद्दे पर कोई ठोस घोषणा कर सकते हैं। शिवसेना चाहती है कि किसानों की कर्जमाफी का श्रेय बीजेपी का मिले , इसलिए पार्टी ने अपना रुख आक्रामक कर रखा है। तो वहीं सीएम देवेंद्र फडणवीस ने भी शिवसेना के कारण विधानंडल के कामकाज पर असर ना पड़े इसकी भी तैयारी कर रखी है। मुख्यमंत्री भी इस बात की भरपूर कोशिश कर रहे हैं कि कर्जमाफी का सारा श्रेय शिवसेना को ना मिले। तो वहीं शिवसेना पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे ‘कर्जमाफी करुन दाखवली’ जैसे नए टैग लाइन की खोज में लग गए है।
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण से मिली जानकारी के मुताबिक महाराष्ट्र के किसानो पर इस समय 25000 करोड़ का कर्ज है। राज्य सरकार को किसानो के भले के साथ साथ राज्य पर पड़नेवाले आर्थिक बोझ को भी देखना होगा। तो वही किसान इस बात की उम्मीद लगाए हुए है की किसी के भी कहने से ही , पर उनके कर्ज को मांफ कर दिया जाए, किसानो को बीजेपी -शिवसेना के झगड़े से कोई लेना देना नही।