महायुति सरकार ने 2024-25 के बजट में 8 लाख 23 हजार 344 रुपए का प्रावधान किया था। हालांकि, हकीकत में सभी विभागों का संयुक्त निधि उपयोग 3 लाख 58 हजार 765 रुपये रहा है, जो कुल निधि का केवल 43 प्रतिशत है।
कई विभागो ने किया बजट का कम इस्तेमाल
महाराष्ट्र के वित्त विभाग की ‘बीआईएमएस’ (बजट, अनुमान, आवंटन, निगरानी प्रणाली) वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार, तीन विभागों – आवास (2 प्रतिशत), सार्वजनिक उद्यम (4 प्रतिशत) और खाद्य और नागरिक आपूर्ति (13 प्रतिशत) ने सबसे कम धन का उपयोग किया है।
महिला एवं बाल कल्याण विभाग (79 प्रतिशत), स्कूल शिक्षा विभाग (74 प्रतिशत), अन्य पिछड़ा वर्ग कल्याण (68 प्रतिशत), कृषि (62 प्रतिशत) और स्वास्थ्य (60 प्रतिशत) विभागों ने आधे से अधिक धनराशि खर्च कर दी है। पिछले पांच वर्षों में बजट प्रावधानों का आधे से भी कम उपयोग किया गया है, लेकिन इस वर्ष यह अपने निम्नतम स्तर पर पहुंच गया है। वर्ष 2023-24 में 48 प्रतिशत, वर्ष 22-23 में 47 प्रतिशत, वर्ष 2021-22 में 47 प्रतिशत, वर्ष 2020-21 में 46 प्रतिशत तथा वर्ष 2019-20 में 48 प्रतिशत धनराशि का उपयोग किया गया।
बजट में लोकप्रिय घोषणाएं की जाती हैं। प्रावधान में 15 से 20 प्रतिशत की वृद्धि की बात कही गई है तथा राजस्व वृद्धि की तालिका प्रस्तुत की गई है। हालाँकि, वास्तविकता यह है कि वास्तव में 50 प्रतिशत धनराशि का भी उपयोग नहीं किया जा रहा है। वित्तीय वर्ष के अंतिम माह मार्च में सभी विभागों द्वारा बड़ी मात्रा में धनराशि खर्च की जाती है।
हालांकि, इस वर्ष वित्त विभाग ने 15 फरवरी के बाद किसी भी व्यय को मंजूरी न देने का आदेश जारी किया है, जिससे जल्दबाजी में अनावश्यक खर्च पर अंकुश लगा है। सरकार ने आदेश दिया है कि अपवादस्वरूप सभी विभाग कुल आबंटन का केवल 70 प्रतिशत ही खर्च करें।
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