आखिरकार महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास निगम (MSRDC) के उपाध्यक्ष राधेश्याम मोपलवार को जांच होने तक पद से हटा दिया गया। मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने गुरूवार को विधानसभा में इसकी जानकारी दी। मोपलवार समृद्धि महामार्ग परियोजना के मुख्य अधिकारी भी थे।
मोपलवार की एक दलाल के साथ ऑडियो क्लिप वायरल होने के बाद विपक्षी पार्टियों ने एक साथ सरकार पर हल्ला बोला था। इस मुद्दे को लेकर विधानसभा में काफी गहमा गहमी रही। एनसीपी ने सबसे अधिक आक्रामक रही। हंगामे को देखते हुए विधानसभा को पांच बार स्थगित करना पड़ा।
इस ऑडियो क्लिप में मोपलवार एक दलाल के साथ करोड़ों रुपये की जमीन एक बिल्डर को देने के लिए होने वाली डील पर बात कर रहे हैं। सीएम ने मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं और जांच की रिपोर्ट एक महीने में आ जाएगी। तब तक मोपलवार अपने पद से बर्खास्त रहेंगे।
यह भी पढ़े : समृद्धि महामार्ग विरोध : 10 अगस्त को मोर्चा निकालने की तैयारी
मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने विपक्ष के हमलों का जवाब देते हुए कहा कि मैंने कल ही कहा था कि एक महीने के अंदर फाॅरेन्सिक जांच की जाएगी। लेकिन विरोधियों की मांग के अनुसार मोपलवार पर जो भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं उसे देखते हुए उन्हें जांच होने तक उनके पद से हटाया जाता है।
विपक्ष का तेवर काफी उग्र था। विपक्षियों के हाथों में तख्तियां थी जिसमें लिखा था जो समझ में आता है वो करो सरकार मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकती। दरअसल यह लाइन मोपलवार के लिए ही थी।
विरोधीपक्ष नेता राधकृष्ण विखे पाटील ने कहा कि बीजेपी के विधायक अनिल गोटे ने 15 फरवरी को मोपलवार के विरोध में एंटी करप्शन ब्यूरो को एक पत्र लिखा था। बावजूद इसके सरकार मोपलवार का समर्थन कर रही है।
बीजेपी सरकार के तीन साल के कार्यकाल में यह पहली बार है कि भ्रष्टाचार के आरोप में किसी इतने बड़े ब्यूरोक्रेट की कुर्सी गई हो। इसके पहले भ्रष्टाचार की वेदी पर एकनाथ खडसे की बली चढ़ चुकी है। पारदर्शिता और सुशासन का दावा करने वाली बीजेपी सरकार के कार्यकाल में जिस तरह से एक के बाद एक दाग लग रहे हैं उसे कतई अच्छा नहीं कहा जा सकता।
डाउनलोड करें Mumbai live APP और रहें हर छोटी बड़ी खबर से अपडेट।
मुंबई से जुड़ी हर खबर की ताज़ा अपडेट पाने के लिए Mumbai live के फ़ेसबुक पेज को लाइक करें।
(नीचे दिए गये कमेंट बॉक्स में जाकर स्टोरी पर अपनी प्रतिक्रिया दे)