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पंकज भुजबल 'मातोश्री' में, बढ़ी राजनीतिक हलचल


पंकज भुजबल 'मातोश्री' में, बढ़ी राजनीतिक हलचल
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महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री और एनसीपी नेता छगन भुजबल जमानत पर जेल से बाहर आ गए हैं। उनके बाहर आते ही नए-नए राजनीतिक समीकरण भी देखने को मिल रहे हैं। बुधवार को राजनीतिक गलियारे में उस समय सरगर्मी फ़ैल गयी जैसे ही यह खबर आई कि छगन भुजबल के बेटे पंकज भुजबल शिवसेना पक्ष प्रमुख उद्धव उनके निवास स्थान मातोश्री पहुंचे हैं।

'राजनीतिक मुलाक़ात नहीं'
मौके पर उपस्थित सूत्रों के मुताबिक उद्धव ठाकरे और पंकज भुजबल के बीच 15 मिनट तक बातचीत हुई। यह पूछे जाने पर कि आने वाले दिनों में राजनीति में कोई नए समीकरण दिख सकते हैं तो पंकज ने कहा कि यह कोई राजनीतिक मुलाकात नहीं थी बल्कि एक सामान्य मुलाकात थी। राजनीतिक गलियारे में इस मुलाक़ात के कई मायने निकाले जा रहे हैं. कयास लगाए जा रहे हैं छगन भुजबल अपने बेटे पंकज के माध्यम से नाराज उद्धव ठाकरे को मनाने की कोशिश कर रहे हैं ताकि उनका राजनीतिक भविष्य आगे बढ़ सके।

भुजबल क्यों चाह रहे हैं शिवसेना की कृपादृष्टि? 
आपको बता दें कि छगन भुजबल ने अपनी राजनीतिक कैरियर की शुरुआत शिवसेना से ही की थी। लेकिन शिवसेना से मतभेद के चलते भुजबल 1991 में एनसीपी सुप्रीमों शरद पवार कहने पर शिवसेना छोड़ कर कांग्रेस में शामिल हो गए। यह मिलाप भी अधिक दिन नहीं चल पाया। शरद पवार और कांग्रेस के बीच भी मतभेद पैदा हो गए, जिससे पवार ने अपनी अलग पार्टी एनसीपी बनाई। इसके बाद भुजबल कांग्रेस छोड़ कर एनसीपी में चले गए।

एनसीपी और कांग्रेस की गठबंधन में जब महाराष्ट्र में सरकार बनी तो उस समय छगन भुजबल गृहमंत्री थे। कहा जाता है कि गृहमंत्री के आदेश पर ही 1993 दंगों के आरोप में शिवसेना सुप्रीमो बाल ठाकरे को गिरफ्तार करने की कोशिश की थी। उसी समय से शिवसेना और छगन भुजबल के रिश्तों में काफी तल्खी आ गयी थी।

अब जब भुजबल एक बार फिर 'मातोश्री' से अपनी नजदीकियां बढ़ाना चाहते हैं तो मातोश्री की तरफ से क्या प्रतिक्रिया आती है इस पर सभी की नजरें टिकी है। 

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